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कुशीनगर में बाढ़ बचाव के लिए अभी तक नही हो सका पूरा इन्तजाम


कुशीनगर । उत्तर प्रदेश सरकार व जिम्मेदार अधिकारियो की घोषणा के बावजूद अभी तक कुशीनगर में नारायणी नदी पर स्थिति बन्धों का बूरा हाल है। मानसून आने के पूर्व यानि 15 जून से पहले बन्धे पर बाढ़ बचाव का कार्य समाप्त हो जाना चाहिए था लेकिन कुछ नही हो सका।

स्थिति ऐसी है कि मानसून आने में सिर्फ 4 दिन शेष है और नदी का डिस्चार्ज भी बढ़ना प्रारम्भ हो गया है फिर भी इस बन्धे पर बाढ़ बचाव का कार्य का श्री गणोश तक नही हो पाया है। 

बन्धे पर अभी तक कार्य प्रारम्भ नही होने के पीछे क्या कारण है यह तो जिम्मेदार लोग ही जानते है लेकिन आम जनता में इस बात की चर्चा है कि बाढ़ के दौरान फ्लड फाइटिंग के नाम पर नदी में बोल्डर बहा कर अपनी जेबे भरने के लिए सरकार में बैठे लोग समय से कार्य नही कराते है।

जिले के एपी तट बन्ध के किसी भी संवेदनशील प्वांइट पर अभी तक कार्य शुरु नही हों पाया है वही सिंचाई विभाग ने पूर्व में कुछ संवेदनशील प्वांइटो पर टेंडर भी करा दिया है लेकिन मानसून के पूर्व कार्य पूर्ण होने की बात तो दूर टेंडर हुए कायरे का अभी तक एग्रीमेन्ट का कार्य भी शायद अपूर्ण है। यही नही कार्य शुरु करने के लिए व मानसून के बाद भी नदी के दबाव को कम करने के लिए सबसे जरुरी संसाधन बोल्डर की आपूर्ति भी बन्धे पर शुरु नही हो पायी है।

बिरवट कोन्हवलिया के स्टैक यार्ड में महज दो ट्रक गिरा बोल्डर विभाग की जागरुकता बताने के लिए काफी है क्योकि बिना बोल्डर के किसी भी कार्य की शुरुआत की बात तो दूर नदी का दबाव को रोका भी नही जा सकता। एपी तटबन्ध का घघवा जगदीश के किमी 1.6 से 1.98 के बीच कराया गया रिवेटमेन्ट विगत बाढ़ के समय में ही क्षतिग्रस्त हो गया था और इस जगह पर नदी से बन्धे को बचाने के लिए विभाग को पूरा मानसून फ्लड फाइटिंग करना पड़ा था।

इस बार भी इस जगह पर नदी का रुख सीधे बन्धे के तरफ है अगर समय रहते यहाँ का क्षतिग्रस्त रिवेटमेन्ट को विभाग ने रिक्युब नही किया तो यहाँ एकबार फिर स्थिति बिगड़ सकती है। सबसे खराब स्थिति नदी का ग्राम सभा विरवट कोन्हवलिया में है क्यो कि नदी के मुहाने पर सिर्फ बन्धा ही नही बल्कि पक्के मकान में रह रहे हजारो लोग है ग्राम सभा विरवट कोन्हवलिया एक तरह से बन्धे के स्लोप पर ही बसा हुआ है।

 इस जगह पर भी विगत वर्ष नदी का दबाव कायम था और विभाग को दबाव कम करने के लिए प्रोपोपाइन व जिओ बैग डालना पड़ा था। डिस्चार्ज में हुई मामूली बढ़त के साथ ही विरवट कोन्हवलिया गाँव के लोगो की धड़कने तेज हो गई है क्यो कि बन्धे के समीप होने के नाते इस गाँव के लोग काफी हद तक बाढ़ की भाषा भी जान चूके है और विभाग की कार्य शैली से भी वाकिफ है।

ग्रामीणों के अनुसार मानसून के पूर्व कार्य शुरु न कराने के पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि बाढ़ के दौरान जब स्थिति भयावह होती है तो उस समय फ्लड फाइटिंग के नाम पर पानी में बोल्डर बहा कर एक ही झटके में करोड़ो रुपये का वारा न्यारा कर लिया जाता है। 

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