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दम तोड़ रही है कुशीनगर में जायेका


कुशीनगर । भगवान बुद्ध की परिनिवार्ण स्थली कुशीनगर में पर्यटन विकास की योजनाएं दम तोड़ती नजर आ रही है। हालात ऐसे है कि पर्यटन आधारित आधारभूत संसाधनों के विकास के लिए बनी जायका परियोजना भी अधर में लटकी है। चार सालों में परियोजना में सर्वे और बैठक के अलावा अब तक कोई काम ही नहीं हुआ।

ज्ञातव्य हो कि जापान इंटरनेशनल कोआपरेशन एजेंसी ने यूपी के बौद्ध सर्किट के समग्र पर्यटन विकास के लिए बर्ष 2009 में 390 करोड़ की योजना बनाई थी। इसमें 40 करोड़ रुपये कुशीनगर के विकास के लिए है।

इस घन से कुशीनगर में पाथ वे, ग्रीन बेल्ट और ड्रेनेज सिस्टम के अलावा एक कैफेटेरिया, राजकीय बौद्ध संग्रहालय और विद्युत सब स्टेशन का अपग्रेडेशन किया जाना है। जापान से आई टीम ने वर्ष 2012 में दो बार कुशीनगर का दौरा किया। टीम ने भ्रमण के दौरान बुद्धकालीन हिरण्यवती नदी के कायाकल्प करने की भी बात भी कही थी।

योजना के तहत 160 करोड़ की लागत से कोल्हुई-हाटा मार्ग को टू लेन बनाया जाना है। इस रोड के बनने से नेपाल की तरफ से कुशीनगर आने की दूरी कम हो जाएगी, लेकिन अफशोस इस बात का है कि इसके बावजूद इस परियोजना को लेकर कोई खास कदम नही उठाया गया। अब तो लोग मैत्रेय की तरह जायका परियोजना को भी ठंडे बस्ते में जाने की बात करने लगे है।

इस सम्बन्ध में प्रदीप कुमार सिंह उप निदेशक पयर्टन ने बताया कि कुशीनगर के विकास के लिए सरकार परियोजनाएं तो बना रही है पर इसे लागू करने की गंभीर इच्छा शक्ति नहीं दिखा रही है। इससे कुशीनगर में पर्यटन विकास का काम आगे नहीं बढ़ पा रहा है।

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