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कुशीनगर में बाढ़ का खौफ दिखने लगा चेहरों पर


पानी बढ़ा तो कई बन्धों की स्थिति हो सकती है समाप्त

कुशीनगर । उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में बाढ़ का खौफ अभी से चेहरो पर दिखायी देने लगा है नारायणी नदी के किनारे बसे करीब एक दर्जन टोले पानी से घिर गये है। वही पानी के बढ़ते दबाव से कई बन्धों की स्थिति भयावह बनी हुयी है। 

बताते चले कि कुशीनगर में पिछले तीन दिनों से लगातार बारिश हो रही हैं। वही वाल्मिकीनगर बैराज से पानी का डिस्चार्ज बढ़ने से गंडक नदी उफान पर आ गई है। नदी के तेज बैक रोलिंग के कारण तटबंध पर खतरा मढ़राने लगा है । हालत ऐसी है कि बाल्मीकि नगर बैराज से बढ़े पानी के डिस्चार्ज ने 300 मीटर लंबा नरवाजोत एक्सटेंशन बांध नदी के विनाशकारी रूख के चलते डेंजर प्वाइंट बन गया है। बांध का नोज पूरी तरह ध्वस्त हो चुका है और नदी के कटान से स्पर नदी में विलीन हो रहा है।

स्थित ऐसी है कि अगर कटान इसी गति से होता रहा तो एक-दो दिन के भीतर नरवाजोत बांध का अस्तित्व हमेशा के लिए नदी में विलीन हो जायेगा। उसके बाद फिर नदी का रूख सीधे एपी बांध के किमी 0 पर होगा और परसा, जंगली पट्टी, भावपुर, पिपराघाट समेत एक दर्जन से अधिक गांवों का अस्तित्व बचाना नामुमकिन हो जाएगा।

बुधवार को विभाग द्वारा मिली जानकारी के अनुसार बाल्मीकि नगर बैराज से 2.70 लाख क्यूसेक पानी का डिस्चार्ज हुआ जो दोपहर बाद एपी बांध के समानान्तर नदी के जल स्तर को बढ़ा दिया। इससे बांध, स्पर-नोज के ऊपर दबाव साफ दिखाई देने लगा। वही नदी के बढ़ते जल स्तर सेे मुख्य एपी बांध के किमी 1.600 पर घघवा जगदीश के सामने अति संवेदनशील स्थिति हो गयी है इसी के साथ  बीरवट के सामने किमी 7.500 से किमी 8.500 तक नदी बांध से सट कर बह रही है। वही बाघाचैर टोला झवनिया के सामने किमी 10.518 से किमी 11.00 तक स्पर का नोज क्षतिग्रस्त हो जाने से नदी बांध पर दबाव बना रही है। 

इसी के साथ दुदही क्षेत्र के अमवा खास बंधे के 4.5 किलोमीटर से 4.9 किलोमीटर के बीच बने 6 स्परों के नोज 10-10 मीटर तक नदी के पानी में विलीन हो गए है। इससे पानी का मुख्य बंधे तक दबाव बनना शुरू हो गया है। बंधे के आसपास के गांव अमवा दीगर, अमवा खास, पिपरही, गोबरही सहित कई गांवों के लोग भयभीत हैं। बन्धे किनारे बसे लोग प्रशासन को कोश रहे कि समय रहते काम हुआ होता तो ऐसी स्थिति नही आती।
सिंचाई विभाग बचाव कार्य में लगा हुआ है। सिंचाई विभाग का कहना है कि बंधे पर थोड़ा दबाव जरूर है, लेकिन बचाव कार्य तेज होने के कारण बंधा सुरक्षित है। 

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