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अनशन नही तो, नहीं मिलेगा कुशीनगर में न्याय



टाइम्स ऑफ़ कुशीनगर  ब्यूरो 
पडरौना, कुशीनगर। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में जिला मुख्यालय अब अनशन स्थल में परिवर्तित होता नजर आ रहा है। जितना ही पहले समस्याओं के निस्तारण के लिए कुशीनगर जाना जाता था उतना ही आज के दौर पिसड्डी साबित होने लगा है।बिना  अनशन के यहां कोई काम नही होने वाला है।

कुशीनगर जनपद मुख्यालय रविन्द्र नगर पर पिछले 14 दिनों से अपनी मांगों को लेकर अनशन कर रहे खरवार महासभा अपनी मांगों पर अड़ा है वही एक और कुनबा भी अपनी मांगों को लेकर अनशन कर रहा है।

ज्ञातव्य हो कि बीते दिनों जब कुशीनगर के जिलाधिकारी का ताबादला हुआ और नये जिलाधिकारी के रूप में आर सैम्फिल ने कार्य भर सम्भाला उसके बाद से कुछ दिनों तक हर काम में तेजी देखी गयी पर आज कुछ और ही हो रहा है। बेतन रोके जा रहे है और उसके बाद भी काम काज की स्थिति सिफर ही रह रही है।

जिससे आजिज होकर लोगों को अनशन का सहारा लेना पड़ रहा है। बताया जा रहा है। 13 मई 1994 के बाद आज तक कुशीनगर जनपद के इतिहास में इतनी बड़ी संख्याओं में आन्दोलन नही हुए। कुशीनगर के हालात ऐसे है कि हर सप्ताह में कोई न कोई व्यक्ति आपनी मांगों के लिए अनशन करने को बाध्य हो जा रहा है।

कभी नियुक्ति का मामला तो कभी जमीन का मामला यही नही प्रशासन द्वारा मिलने वाले प्रमाण पत्र के लिए भी लोगों को अनशन करने की जरूरत पड़ने लगरी है। अब तो यहां के लोगों को यह भी लगने लगा है कि विना अनशन के कोई कार्य कुशीनगर में नही होने वाला है।

विगत 27 दिसम्बर से खड्डा विकास क्षेत्र के रामपुर गोनहा का एक कुनबा अपनी मांग को लेकर जिला मुख्यालय पर अनशन कर रहा है। परिवार के मुखिया वाजिद का आरोप है कि उनके बैनामे की आठ डिस्मिल जमीन पर गांव के ही दबंगों ने कब्जा कर लिया है। इनके साथ उसका पूरा परिवार इस ठण्ड में अपनी मांगों को लेकर  जिला मुख्यलय पर बैठा हुआ हैं। इसके समर्थन में सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी के जिलाध्यक्ष मैनुद्दीन सिद्दीकी समेत कई संगठनों के नेताओं ने कलेक्ट्रेट पहुंच प्रशासन को खरीखोटी सुनाई।

वही दूसरी ओर अनुसूचित जाति का प्रमाण-पत्र जारी किए जाने की मांग को लेकर खरवार समाज के लोग पन्द्रहवें दिन से आन्दोलन कर रहे अब तो उन्होन बाध्य होकर क्रमिक अनशन  भी शुरू कर दिया है। इनका आरोप है कि प्रशासन उनकी मांगों को लेकर उदासीन है जबकि प्रशासन कायदे-कानून का हवाला दे धरनारत लोगों से विधिक व्यवस्था के तहत प्रमाण-पत्र जारी करने की बात कह रहा है।

अभी हाल ही में प्रेरको को इसी प्रशासन से तु-तु, मै-मै करना पड़ा 9 प्रेरको के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हुआ और जेल भी गये। उसके बाद प्रशासन ने एक शर्त देकर उनकी मांगों को भी मान लिया। 

अब तो स्थिति ऐसी हो गयी है कुशीनगर में लोगों को अपनी जमीन खाली करनी हो या इलाज की व्यवस्था या फिर कर्ज से मुक्ति तो अनशन करना ही पड़गा। अभी कुछ  महिनों पहले एक परिवार ने एक राजनीतिक पार्टी के चुंगूल से अपनी जमीन निकालने के लिए पडरौना नगर गांधी चैक पर आमरण अनशन करना पड़ा था इसका उदाहरण है। ऐसे कई मामले कुशीनगर के हंै क्योकि अब लोग समझने लगे है कि बिना अनशन के प्रशासन हमारी नही सुनेगा।

जिलाधिकारी रिग्जियान सैम्फिल ने बताते है कि जायज मांग पर त्वरित कार्रवाई की जाती है, लेकिन हर आदमी को समझना चाहिए कि मांगे कहां तक जायज हैं।

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