Breaking News

भ्रष्टाचार की भेट चढ़ी सार्वजनिक वितरण प्रणाली


मिथिलेश कुमार
टाइम्स ऑफ़ कुशीनगर ब्यूरो 
दुदही, कुशीनगर । सार्वजनिक वितरण प्रणाली भ्रष्टाचार की भेंट चढ गयी हैं। यही नही इसकी निगरानी करने वाला विभाग भी मौन धारण किये हुए है। केन्द्र की यूूपीए सरकार संसद में खाद्य सुरक्षा बिल पास तो करा दी परन्तु सार्वजनिक वितरण प्रणाली में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण इसका लाभ आम जनता को नही बल्कि कुछ गल्ला माफियाओं को जरूर मिल रहा है।

स्थिति ऐसी है कि केंन्द्र में बैठी कांग्रेस की सरकार इस बिल को अपना महत्वपूर्ण चुनावी हथियार भले ही मान ले परन्तु इसके लागू होने पर भी आम आदमी को लाभ की सम्भावनायें मुश्किल लग रही हैं। वही दुसरी तरफ भ्रष्ट वितरण प्रणाली और खाद्य सुरक्षा बिल राशनकार्ड माफियाओं, विभागीय भ्रष्ट अधिकारियों के लिये बोनस साबित होने वाला है।

कुशीनगर जनपद में स्थिति ऐसी है कि विभागीय लोंगो के सहयोग से कोटेदार को हो-हल्ला के बाद भी अन्त्योदय कार्ड धारको को 25 किलों एपीएल कार्ड धारक को 15 से 20 किलो देकर अतिरिक्त उठान हुये खाद्यान हडपने में कोई कोताही नहीं कर रहे हैं। कोटेदारों के करतूतों की शिकायत कार्ड धारक उच्चाधिकारियों को बराबर कहते रहते हैं। परन्तु इसके बाद भी सार्वजनिक वितरण प्रणाली को भ्रष्टाचार से मुक्त नही किया जा सका है । कोटा भले ही कोटेदार के नाम आवंटित है लेकिन संचालन राशन माफियाओं के हाथ में है। खाद्यान्न उठान से लेकर वितरण तक कितना वितरित किया जाना है। इस माह मिट्टी का तेल बंटेगा कि नही, चीनी बांटना है या नही, सब कुछ राशन माफियाओं के हाथ में है क्योकि उनके धन से ही कोटदार उठान करते हैं। जिसका कारण है कि  कुछ इमानदार भी गल्ला माफियाओं के हाथों की कठपुतली बनकर रह गये हैं।

अगर एक नजर कुशीनगर के तमकुहीराज तहसील अन्तर्गत विकास खण्ड दुदही में डाली जाये तो कुल 58 ग्राम पंचायतें हैं। इन सभी ग्राम पंचायतों में करीब 135 सार्वजनिक वितरण की दुकानें संचालित होती हैं। जिनके द्वारा प्रतिमाह एपीएल कार्डधारकों के लिये 864 कुन्तल 61 किलो खाद्यान्न व 900 कुन्तल चीनी उठाया जाता है परन्तु वितरण प्रति कार्डधारक 15 से 20 किलो के खाद्यान्न का किया जाता है। चीनी कहां चली जाती पता ही नही चलता। त्यौहारों पर तो कार्डधारक चीनी के लिए तरस जाते हैं।

कोटेदार से पूछे जाने पर बहुतायत कोटेदार यह कहते हुए सुने जाते है कि एपीएल का वितरण कर नयी परम्परा डालने की क्या जरुरत है। यदि एपीएल खाद्यान्न बांटनें की नयी परम्परा डाल दी गयी तो हम लोग खाने बिना मर जायेंगें।

स्थिति ऐसी है कि दुदही, सेवरही व तमकुहीराज ब्लाकों में सिर्फ एपीएल वितरण अन्तर्गत खाद्यान्न चीनी व मिट्टी के तेल की जांच हो जाये तो कालाबाजारी का सच सामने आ जायेगा। यहां दुदही ब्लाक के सभी 58 ग्राम सभाओं की सार्वजनिक वितरण प्रणाली के दुकानों पर एक नजर डाले तो बासगांव, अमवादीगर, धोकरहा, रामपुर बरहन, रामपुर पट्टी, चैबेया पटखौली, अमवा खास, गौरी श्रीराम, गौरी शुक्ल, गौरी जगदीश, तिवारीपट्टी, रकबा दुलमापट्टी, बैकुण्ठपुर अहिरौली, कोकिलपट्टी, जंगल लुअठहां, जंगल विशुनपुरा, जंगल नौगावां, चाफ, बतरौली धुरखड़वा, जंगल लालाछपरा, सरगटिया करनपट्टी, ठाडीभार, धर्मपुर पर्वत, सोरहवंा, दुमही, बंगरा रामबख्शराय, मंझरिया, मठिया भोकरिया, ब्रहमपुर, कोरयां, विजयपुर उŸारपट्टी, विजयपुर दक्षिणपट्टी, शंकरपुर, सरिसवां, दोघरा, घोरठ, शाहपुर आदि ग्राम पंचायतों में सार्वजनिक वितरण प्रणाली भ्रष्टाचार की शिकार हैं। यहां शिकायतों के बाद जांच फिर सस्पेण्ड और बहाली का खेल खेला जाता है। परन्तु मूल समस्या जनता का हक उसे कैसे मिले इसके समाधान की ओर किसी ने अभी न तो ध्यान दिया और न ही कोई कार्यवाही करने को तैयार है ।

सार्वजनिक वितरण प्रणाली की जड़ तक भ्रष्टाचार पहुंच गया है। ऐसे में इसी माध्यम से यूपीए का खाद्य सुरक्षा बिल संचाालित होता है तो यह अत्यन्त उदार व महत्वाकांक्षी योजना का ठीक से क्रियान्वयन सम्भव  नही है। ऐसी स्थितियों में गरीब जिस तरह अपने निवाले के लिए आज तरस रहे हैं अगर माध्यम तंत्र यदि नही सुधारें  गये तो खाद्यान्न सुरक्षा योजना लागू होने के बाद वे भूखमरी की दहलीज पर खड़े हो जायेगें।

इसके भ्रष्टाचार की सीमाए इतनी बढ़ गयी है कि कुशीनगर जिलाधिकारी आर सैम्फिल के लाख प्रयासों के बाद भी भ्रष्टाचार की शिकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली में किसी प्रकार का सुधार नही हो सका। जिला पूर्ति अधिकारी ताजुद्दीन प्रत्येक माह कहते हैं कि इस महीने पर्याप्त खाद्यान्न व चीनी कार्ड धारकों मिलेगा। यह बयान सिर्फ अखबारों में इबारत बन कर रह गया है। हकीकत बयान से सैकड़ों मील दूर हैं।

इतने के बाद भी अब तो ग्रामीण यह मान बैठे हैं कि चाहे जो भी हो सच यही है कि खाद्यान्न हम कार्डधारकों को कोटेदार के रहमोकरम पर ही मिलेगा। ग्रामीण लोग इस बात से परिचित हो चुके हैं कि कोटेदार का रक्षक राशन माफिया हैं और राशन माफियाओं की पहुंच ऊपर तक है। ऐसे में ग्रामीणों के इस तर्क को भी नजर अंदाज नही किया जा सकता कि गरीबों को लाभ देने वाली योजनाओं का सृजन भ्रष्टाचार की भेंट  चढने के लिये ही किया जा रहा है।गरीब लोग यह मान बैठे हैं कि कोई भी योजना हम तक पहुंचने से पहले ही भ्र्रष्टाचार की भेट चढ़ जायेगी। यह तो वही हुआ कि देश व प्रदेश की सरकारे गरीबों के हक की बात करें और गरीब अपने हक के लिये दर-दर की ठोकर खातें रहे।

कोई टिप्पणी नहीं

टिप्पणी करने के लिए आप को धन्यबाद!

.................................TIMES OF KUSHINAGAR