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यूपीबोर्ड की परीक्षा सिर पर पाठ्यक्रम पूरा करने में लगे परीक्षार्थी



टाइम्स ऑफ़ कुशीनगर ब्यूरो 
पडरौना, कुशीनगर । उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा संचालित होने वाली हाईस्कूल व इन्टरमीडिएट की परीक्षा के 3 मार्च से घोषित होते ही परीक्षार्थियों की चिंता बढ़ गई है। अधिकांश कालेजों में विज्ञान, गणित, अंग्रेजी जैसे महत्वपूर्ण विषयों के शिक्षकों की कमी के कारण कालेज में पाठ्यक्रम पूरा न हो सका है जिससे तैयारी को लेकर परीक्षार्थी परेशान हैं।

ज्ञातव्य हो कि कुशीनगर के पडरौना, हाटा, कसया व तमकुहीराज तहसीलों में चार राजकीय कालेजों के साथ 55 वित्त पोषित समेत 224 माध्यमिक विद्यालय संचालित हैं। 60 फीसद कालेजों में सृजित पदों के सापेक्ष शिक्षक नहीं है।

इन पदों पर तैनात रहे शिक्षकों की सेवानिवृत्ति के बाद वर्षो से चली आ रही अध्यापकों के रिक्त पदों पर तैनाती न होने के कारण भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, अंग्रेजी, अर्थशास्त्र आदि महत्वपूर्ण विषयों की पढ़ाई किसी तरह से हुयी। जिसको लेकर 10 वीं व 12 वीं की बोर्ड परीक्षा में शामिल हो रहे बच्चे अपने कैरियर को लेकर खासा चिंतित हैं। जिन बच्चों का आवास नगर, उप नगर व कस्बों में हैं वे वहां संचालित कोचिंग सेंटरों पर पहुंच बोर्ड परीक्षा की तैयारी पूरी कर रहे हैं। लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे का बूरा हाल है और अधूरे पाठ्यक्रम के कारण यह खासा परेशान है।

स्थिति ऐसी है कि पाठ्यक्रम पूरा न हो पाने के कारण कोचिंग केंद्र संचालक फायदा उठा रहे है जिसके के कारण स्कूलों में फीस जमा करने के बाद अभिभावकों को कोचिंग केंद्रों पर फीस दे जमा करना पड़ रहा है।

अपने हाल पर विद्यालय प्रशासन को कोश रहे यूपी बोर्ड 10 वीं के परीक्षार्थी अमरेश सिंह कहते हैं विज्ञान विषय का पाठ्यक्रम अधूरा होने से परीक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है। कहते है कैरियर का पहला पड़ाव पार करने की तैयारी जोरो पर है। वही इसी क्लास के अरविंद तिवारी ने कहा यदि कालेज में सभी क्लास संचालित हो तो कोचिंग जाने की जरुरत ही नही पड़ेगी।

इधर 12 वीं की एक छात्रा रीता ने बताया कि गणित व भौतिक विज्ञान की तैयारी पर खासा जोर है। कारण इसका पाठ्यक्रम अभी पूरा न हो सका है। बारहवीं के ही दिनेश सिंह कहते हैं इंटर की परीक्षा कैरियर का आधार है। जब यही गड़बड़ हो जाएगा तो कैरियर सुधारना मुश्किल हो जायेगा।

इस बाबत जिला विद्यालय निरीक्षक संतोष सिंह कहते हैं पाठ्यक्रम को पूरा कराने को लेकर सदैव जोर दिया जाता है। कहते हैं जिन कालेजों में शिक्षकों की कमी रही है वहां मानदेय आधारित शिक्षकों के जरिए पढ़ाई पूरी हो गई है।



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