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जिलाधिकारी का ऐसा आया फरमान कि पानी के जरूरत पर जनता हुयी परेशान


हरिगोबिंद चौबे
टाइम्स  ऑफ़ कुशीनगर ब्यूरो 
पडरौना, कुशीनगर। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में ग्रामीण क्षेत्र की जनता को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए करोड़ों रुपये खर्च करके बनाए गए अधिकांश ओवरहेड टैंक दिखावा साबित हो रहे हैं। कहीं बिजली की कमी तो कहीं कनेक्शन नहीं होना या पाइप गुणवत्तायुक्त न होने की वजह से पानी की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। हालात ऐसे है कि उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जनपद की जनता पानी के लिए कराह रही है। जिलाधिकारी के एक फरमान ने सबकों कठिनाईयों में डाल दिया है।

जानकारी के मुताबिक कुशीनगर जनपद की जनता को इस समय पानी के लिए काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है। जिस परिवार के घर के पास इण्डियां मार्का हैण्ड पम्प नही है उसे दूर से पीने का पानी लाना पड़ रहा है। इसके साथ ही स्नान करना, कपड़ा धोना व पशुओं के लिए पानी की समस्या इतनी बड़ी है कि हर कोई पेरशान है।

ज्ञातव्य हो कि आज की इस स्थित कुशीनगर को ऐसे ही नही हुयी। जिलाधिकारी के एक ही आदेश पर सारा कुछ प्रभावित हो गया। जिसका परिणाम हुआ कि कुशीनगर में 7 अक्टूबर से छोटे नलों की विक्री पूर्णतया बन्द हो गयी। यही नही इसके साथ छोटे नलों के पार्ट पूर्जो के विक्री पर भी रोक लगा दिया गया। पूर्व में लगे छोटे हैण्ड पम्प अब बन्द होते जा रहे है।

जिससे आम आदमी की समस्या काफी बढ़ गयी है। पानी के आपूर्ति के सापेक्ष कुशीनगर में चालु इण्डिया मार्का हैण्ड पम्प पानी देने में सामर्थ हीन है। इसके साथ कुछ ऐसे छोटे किसान है जिन्होने इसके सहारे सब्जी आदि की खेती भी करते है। जिससे उनकी रोजी रोटी चलती है। एका-एक जिलाधिकारी के फरमान ने सबकों सकते में डाल दिया है। सभी परेशान और पानी की समस्या से जुझ रहे है। तीन माह के अन्तराल में अभी तक जिला प्रशासन ने इसके लिए कोई पुख्ता इन्तजाम नही किया है।

स्थितियां ऐसी है कि जलजनित बीमारियों से बचाव के लिए अकेले रामकोला क्षेत्र में तीन स्थानों पर बने ओवरहेड टैंक विभागीय लापरवाही के कारण निष्प्रयोज्य साबित हो रहे हैं। इस क्षेत्र के खोटही देवीपुर, लालाछपरा के भटवलिया और दहाउर महुअवा में बनी इन पानी की टंकियों से आज तक पानी की आपूर्ति शुरू नहीं हो सकी है। खोटही गांव के लोग बताते हैं कि यहां बीमारी से बच्चों की मौत के बाद जांच कराई गई थी। इसमें जलजनित बीमारी से बच्चों के मौत की पुष्टि हुई थी। लेकिन वर्षों से यह ओवरहेड टैंक दिखावा साबित हो रहा है। ग्राम प्रधान सुरेंद्र सिंह का कहना है कि पंप आपरेटर लो वोल्टेज के कारण पानी की आपूर्ति न होना बताता है। पंप आपरेटर कुशवाहा कहते है कि बिजली के प्रयाप्त पावर न मिलने के कारण पंप से पानी ऊपर नहीं चढ़ता है।

वही लालाछपरा के भटवलिया में स्थित ओवरहेड टैंक के बारे में स्थिति ऐसी है कि इस टंकी से आज तक किसी को एक बूंद पानी नहीं मिला। इन ओवरहेड टैंकों के माध्यम से लोगों को स्वच्छ पेयजल उपलबध कराने का सरकारी दावा केवल कागजों में चल रहा है। वही बांसगांव जटवलिया में ओवरहेड टैंक और पाइप बिछाने का कार्य चार करोड़ रुपये की लागत से होना है। 20 जुलाई 2010 से काम चल रहा है।लेकिन इतने वर्षों में केवल टैंक बन पाया है, पाइप बिछाया जाना है।

सेवरही के विधायक अजय कुमार लल्लू ने जब विधानसभा में यह मुद्दा उठाया तो निर्माण में थोड़ी गति आई थी। वही हाल जनपद के गुरवलिया बाजार में निर्मित पानी की टंकी भी बेमतलब साबित हो रही है। क्योंकि पांच वर्ष पूर्व पानी की टंकी तो बन गई और आपूर्ति के लिए कर्मचारी भी तैनात कर दिया गया। लेकिन अच्छी किस्म की पाइप न लगाए जाने के कारण पानी की आपूर्ति होते ही पाइप फट जाता है। नतीजतन, पानी की आपूर्ति नहीं हो पाती। इसी क्रम में जनपद के विशुनपुरा विकासखंड के बलकुडि़या बाजार में भी बना ओवरहेड टैंक सभी लोगों की जरूरत पूरी नहीं कर पा रहा है। इससे 16 गांवों के लोगों को पानी की आपूर्ति करती है लेकिन लोगों को कनेक्शन नहीं मिल पाता है। इसी क्रम में पडरौना विकास खण्ड के सेमरा हर्दो गांव में बनी पानी की टंकी लोगों को मुह चिढ़ा रही है। बर्षो लग गये पर अभी तक वह चालु नही हो सकी। ऐसे में सेमरिया गांव निवासी भानु प्रताप कहते है कि जिलाधिकारी को जब इसकी व्यवस्था नही करनी थी तो ऐसा फरमान क्यों जारी किया कि सभी समस्या से जुझने लगे। वही चिरगोड़ा निवासी सत्यनारायण चैबे का कहना है कि सुबह उठने समय से सोने तक पानी की सबसे ज्यादा आवश्यकता पड़ती है जिसमें सबसे ज्यादा पानी की आवश्यकता ये छोटे नल पूरा करते थे। ऐसे इन पर पावन्दी लगाना किस तरह का जनहित में फैसला है। अगर पीने के पानी पर पाबन्दी लगानी है तो इसके लिए जागरूकता जरूरी है या नल बन्द करा देना। 

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