पडरौना चीनी मिल को चलवाने छात्रों ने बीड़ा उठाया
टाइम्स ऑफ़ कुशीनगर ब्यूरो
कुशीनगर । उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में बन्द पड़ी पडरौना चीनी मिल की नीलामी रोकने व उसे चलाने का कुछ छात्रों ने बीणा उठाया है। युवा विकास मंच बनाकर छात्र अनवरत पांच दिनों से पडरौना नगर के सुभाष चैक पर प्रर्दशन कर रहे है। छात्रों का यह प्रदशर््ान अनवरत चीनी मिल के चलने तक जारी रहेगा।
ज्ञातव्य हो कि कुशीनगर जनपद के पडरौना नगर स्थित अंग्रजी हुकुमत के समय स्थापित यह चीनी मिल आज नीलामी के कगार पर पहुच गयी है। बर्षो से बकाये पड़े किसानों के गन्ना मूल्य भुगतान को लेकर जिला प्रशासन ने 29 सितम्बर के दिन इस चीनी को नीलाम करा दिया होता लेकिन छात्रों का प्रर्दशन रंग लाया और इसकी नीलामी की तारीख बढ़कर 29 नवम्बर हो गयी। इसके पूर्व कोर्ट के आदेश के वावत गन्ना मूल्य भुगतान को लेकर प्रशासन ने इस चीनी मिल के चीनी के स्टाक को भी सील कर दिया था।
चीनी का स्टाक सील होने के बाद प्रशासन द्वारा मिल के नीलामी की कार्यवाही को लेकर स्थानीय उदित नरायण पी जी कालेज के कुछ छात्रों को लगा कि यहां कभी अच्छा खासा चलने वाला यह चीनी उद्योग जिसमें हजारों लोगों का हित सुरक्षित है। इसके नीलाम होने से किसान सहित मिल में काम करने वालेें कर्मचारियों के सामने काफी समस्याएं उत्पन्न हो जायेगी। अगर ये चीनी चल गया तो इस क्षेत्र के किसान सहित मिल के कर्मचारी का विकास सुनिश्चित रहेगा। उसके बाद से छात्र चीनी मिल की नीलामी रोकने, चीनी मिल का मालीकाना हक कपड़ा मंत्रालय को पुनः वापस करने, कपड़ा मंत्रालय द्वारा चीनी मिल को चलवाने, किसानों के लम्बित गन्ना मूल्य भुगतान कराने एवं श्रमिको के बकाया वेतन के भुगतान को सुनिश्चित कराने को लेकर अनवरत आन्दोलन कर रहे है।
छात्रों के इस मंच में प्रमुख रूप से शामिल गौरव तिवारी, बजरंगी यादव, राणा प्रताप राव, प्रिन्स तिवारी, कृष्ण प्रताप सिंह, चन्द्रेश पाण्डेय, धीरज तिवारी, र्कीतन तिवारी, सचिदानन्द शुक्ल, धीरज पाठक, हरेन्द्र गौतम आदि का कहना है कि गन्ना मुल्य के भुगतान की जिम्मेदारी सिर्फ सरकार की है। सरकार यह निर्धारित करती है कि गन्ना किसान अपना गन्ना किस मिल को दें और किसान आवंटन के अनुसार गन्ने की सप्लाई करता हैं। चीनी मिल द्वारा उत्पादित चीनी को सरकार की एक्साईज ड्यूटी जमा करने के बाद ही बेचा जाता है। इस पूरी प्रक्रिया से स्पष्ट है कि गन्ना मुल्य भुगतान सरकार को करना है। सरकार चीनी मिल से किस तरह इसकी बसूली करती यह उसका प्रबन्धन है।
उनका कहना कि प्रधानमंत्री ने 10 मई को चुनावी सभा के दौरान जिला मुख्यालय से घाषणा किया था कि उनकी सरकार बनते ही यह चीनी मिल चलनी शुरू हो जायेगी। चुनाव के बाद बर्तमान सांसद राजेश पाण्डेय ने समाचार पत्रों के माध्यम से अवगत कराया था कि चीनी मिल का मालीकाना हक कपड़ा मंत्रालय को बापस हो रहा है। भारत सरकार का कपड़ा मंत्रालय इस चीनी मिल को शीघ्र ही चलायेगा। लेकिन उसके बाद भी चीनी मिल को नीलाम करने की योजना बन गयी और तारीख भी 29 नवम्बर 2014 निधारित हो गयी।
इस चीनी मिल पर सर्वाधिक इस क्षेत्र के किसानो, व श्रमिको का हक है और ऐसे में इस चीनी मिल को कोई नीलाम कराये हम छात्र इसे बर्दाश्त नही करेगे। यही नही जब तक चीनी मिल नही चलती तब तक स्थानीय सांसद के हर कार्यक्रमों का वहिष्कार किया जायेगा।
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