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दत्तात्रेय के शिष्य सिद्धनाथ की समाधी बनी आस्था का केन्द्र


टाईम्स आफ कुशीनगर ब्यूरो।
पडरौना, कुुशीनगर। भगवान दत्तात्रेय के शिष्य बाबा सिद्धनाथ की समाधी सिद्ध स्थल के रूप का केन्द्र बन गयी है। पडरौना नगर से पूरब महज 5 किमी की दूरी पर पडरौना-सेवरही मुख्य मार्ग के सटे किनारे स्थित इस मन्दिर का निमार्ण सौकड़ों साल पहले हुआ था।
जानकार बताते है कि तकरीबन 5000 वर्ष पूर्व भगवान दत्रातेय के शिष्य बाबा सिद्धनाथ के पडरौना से 5 किमी दूर निर्जन स्थान पर जिंदा ही प्रविष्ट हो गए थे।  वही समाधी स्थल के महन्थ योगेश्वर नाथ बताते है कि मुगल शासक अकबर ने बाबा सिद्धनाथ के स्थान के महात्म को देखते हुए इनके नाम से परगना घोषित किया। जिसका जिक्र अब्दुल फजल ने आईने-ए-अकबरी में 167 न. पेज पर किया था। इसीलिए इस स्थल का ऐतिहासिक महत्व है। यहां के विशाल भू-भाग पर अब पांच मंदिर बने हैं। यहां वर्षपर्यत श्रद्धालुओं के आने जाने का सिलसिला लगा रहता है।
सिद्धनाथ को भगवान शिव का अंश मानते हुए लोग श्रावण माह में जलाभिषेक भी किया करते है। जिसको घ्यान में रखते हुए श्रावण माह में मंदिर की विशेष सफाई की गई है। सुदूर क्षेत्रों से आने वाले श्रद्धालुओं के ठहरने की भी व्यवस्था बनाई गई है। भक्तों के लिए भंडारा का आयोजन किया गया है। खास बात कि दर्शन के अलावा शादी विवाह व अन्य धार्मिक आयोजन परिसर में किए जाते हैं। यहां हृदय से मांगी गई हर मन्नत पूरी हो जाती है। यहां आने वाले भक्तों की सेवा से जो सुखद अनुभूति होती है उसको शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।

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