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दोआब में बसे दर्जनों गांवों के लिए बनी ढ़ाई करोड़ की परियोजना फ्लाफ


 सात बर्ष बाद भी नही हुआ समस्या में कोई सुधार
टाईम्स आफ कुशीनगर व्यूरो
कुशीनगर। नारायणी नदी और बांसी नदी के दोआब में बसे दर्जनों गांवों को जिला मुख्यालय से जोड़ने वाली करीब ढाई करोड़ की परियोजना फ्लाफ साबित हो रही है। इस परियोजना के तहत करीब सात बर्ष पूर्व दियारा क्षेत्र को कुशीनगर जिला मुख्यालय से जोड़ने के लिए 2.68 करोड़ रुपये की लागत से बांसी नदी पर बना पुल बनाया गया था।
सात बर्ष पूर्व बना पुल आज भी किसी काम का नही है। दरसल पुल के बनने के बाद पुल का एप्रोच ही नही बना और देखते-देखते सात साल बीत गये। पूर्व की भांति आज भी यहां के लोगों को अपने गंतव्य पर जाने के लिए सात किलोमीटर की अतिरिक्ति दूरी तय करके  जाना पड़ता है।
ज्ञातव्य हो कि वर्ष 2006 में सेवरही के तत्कालीन विधायक डॉ. पीके राय के प्रयास से चैबेया पटखौली गांव के सामने बांसी नदी पर पुल निर्माण के लिए मंजूरी मिली। लोकनिर्माण मंत्री शिवपाल यादव ने इसका शिलान्यास किया था। इसके निमार्ण के लिए सेतु निगम को कार्यदायी संस्था बनाया गया। वर्ष 2007 में सात पाए वाले इस पुल को 2.68 करोड़ रुपये की लागत से बनाया
यदि इस पुल के एप्रोच का निर्माण करा दिया गया होता तो चैबेया पटखौली, रामपुर पट्टी, रामपुर बरहन, खानगी, लक्ष्मीपुर, धोकरहां, अमवादीगर समेत कई गांवों के लोगों के लिए जिला मुख्यालय पहुचने में आसानी हो जाती।
लेकिन आज यह पुल किसी काम का नही है। यही नही इसके बारे कोई सूनने वाला भी नही है। जिसका प्रमुख कारण रहा कि सरकारों के साथ-साथ विधायकों का बदलना इस क्षेत्र के लिए अभिशाप बनता गया। पुल के बारे में विभाग ने फिर से कोई जहमत नही उठायी और न ही सरकारों के साथ बदलते जन प्रतिनिधियों ने ही सोचा।
जिसका परिणाम रहा कि गांव के लोगों को आज भी सात किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी सात बर्ष बाद भी तय करनी पड़ती है।
इस सम्बन्ध में चौबेया पटखौली गांव के निवासी जयप्रकाश कहते हैं कि जब पुल का निर्माण शुरू हुआ था तो काफी खुशी थी। लेकिन यह पुल आज भी किसी काम का नहीं है।
वही इसी गांव के नगीना केवट कहते हैं कि यदि इस पुल का एप्रोच बन गया होता तो सात किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी तय नहीं करनी पड़ती। लेकिन कोई जिम्मेदार व्यक्ति इस बारे में नहीं सोचता है। सीताराम का कहना है सात साल से हमें कई किलोमीटर की दूरी तय करके जिला मुख्यालय जाना पड़ता है, अगर एप्रोच शीघ्र नहीं बनाया गया तो क्षेत्र के लोग आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।
इधर इस संबंध में जिले के मुख्य विकास अधिकारी जनार्दन बरनवाल का कहना है कि फिलहाल तो इस पुल के बारे में मुझे कोई विशेष जानकारी नहीं है। अधिकारियों से बात करके जानकारी ली जाएगी।

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