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कुशीनगर में कुपोषित बच्चों की संख्या एक लाख के पार


  • रूटिंन चेक-अप से  हुआ खुलाशा, 449 बच्चें अति कुपोषित
टाईम्स आफ कुशीनगर व्यूरो।
पडरौना, कुशीनगर । उत्तर प्रदेश कें कुशीनगर में कुपोषित बच्चों की संख्या बढ़कर एक लाख से उपर हो गयी है। जिसका खुलाशा विभाग ने स्वयं के रूटिंन चेक-अप में किया है। इस आकड़ें के सामने आते ही जिलें में हड़कम्प मच गयी है। विभाग की योजना के शतप्रतिशत अनुपालन पर भी सवाल उठने लगा है।

सरकार है कि बच्चों की मृत्यु दर को कम करने के लिए उन्हें कुपोष्ण से मुक्त कराना चाहती है। इधर इसकी संख्या बढ़ती जा रही है। कुपोषण के शिकार बच्चों की संख्या इस समय एक लाख पाॅच हजार हो गयी है। जब कि अति कुपोषित बच्चों की संख्या 449 है।

स्थिति के सापेक्ष बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए सरकार वाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के माध्यम से पंजीरी और 3 से 6 साल के बच्चों को दोपहर में गर्म भोजन देने का दावा करती है। ऐसे में अगर इतनी व्यवस्था के बाद कुपोषित बच्चों की संख्या बढ़ रही है तो विभाग के लिए भी चुनौती बन जायेगी।

हर बर्ष केन्द्र और प्रदेश की सरकारें करोड़ों रूपये देकर बच्चों को कुपोषित होने से बचाने के लिए निर्देश देती रहती है। इसके बावजूद प्रसव के बाद बजन की रिपोर्ट बताती है करीब 26 प्रतिशत बच्चें कुपोषित पैदा हो रहे है।
स्वास्थ्य विभाग गर्भवती महिलाओं को कुपोषण से बचने के लिए जागरूक करने का दावा करता है और प्रसव के बाद पोषक तत्व लेने के लिए 1400 रूपये की धनराशि भी देता है। इसके बावजूद बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग द्वारा पंजीरी भी देने का दावा किया जाता है।

इन तमाम आकड़ों पर से स्पष्ट है कि स्वास्थ्य और बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के कार्यप्राणाली में कही न कही खोट है जिससें कुपोषित बच्चों की संख्या में इजाफा हो रहा है।

इस सम्बन्ध में मुख्य विकास अधिकारी का कहना कि कुपोषण के शिकार बच्चों की बढ़ती संख्या चिन्ता का विषय है। इसके लिए जाॅच करायी जायेगी और इसका कारण स्पष्ट कर उचित कार्यवाही की जायेगी।

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