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भारत की यात्रा में बीजा प्रणाली बाधक-मिस ली


 भारत को नजदीक से देखना चाहता आम चीनी नागरिक
टाईम्स आफ कुशीनगर व्यूरों
कुशीनगर। भारत बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए पवित्र भूमि मानी जाती है। ऐसे में प्रत्येक चीनी व्यक्ति भारत की इस पवित्र भूमि पर पहुचना चाहता है। भारत की यात्रा में यहां की बीजा प्रणाली बाधक हो जाती है अगर इसे सरल कर दिया जाये तो चीनी से भारत आने वाले बौद्ध श्रद्धालुओं की संख्या और बढ़ जायेगी।

भगवान बुद्ध की परिनिवार्ण स्थली कुशीनगर के साथ पूरे बौद्ध परिपथ के भ्रमण पर आए चीनी पर्यटकों की ग्रुप लीडर मिस टारा ली ने कुशीनगर में माना कि भारत चीन में बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए पवित्र भूमि है। यही कारण है कि यहां हर कोई आना चाहता है। ऐसे में आम चीनी नागरिक भारत को नजदीक से देखना चाहता है। टूर और ट्रैवेल कारोबार से जुड़ी टारा ली का मानना है कि दोनों देशों के संबधों में प्रगाढ़ता के लिए वीजा नीति को लचर बनाए जाने की जरूरत है। लारा का कहना है कि यूरोपीय देशों की यात्रा के लिए चीनी नागरिकों को टूरिस्ट वीजा 24 घंटे में मुहैया हो जाता है। भारत आने के लिए कठिन प्रक्रिया से गुजरना होता है।
पत्रकारों से बातचीत में ली ने कहा कि बौद्ध धर्म का उद्धभव भारत में हुआ और यही से बौद्ध धर्म चीन सहित विश्व के तमाम देशों में फैला। भगवान बुद्ध द्वारा प्रतिपादित या धर्म मध्यम मार्ग का अनुसरण करने की बात कहता है। इसलिए इसकी ग्राह्यता प्रतिदिन बढ़ रही है। उन्होंने प्राचीन काल के चीनी यात्रियों का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने भी बौद्ध धर्म के प्रचार और प्रसार में महत्वूपर्ण योगदान दिया है। प्राचीन काल से ही दोनों देशों के बीच मैत्री पूर्ण संबंध रहे हैं।
चीनी जनता इन संबंधों को कायम रखना चाहती है। यह दल चीन के चांगसी शहर से काठमांडू होते हुए लुम्बिनी और फिर भारत पहुचा। सोमवार की देर शाम कुशीनगर पहुचा यह दल मंगलवार को प्रात वैशाली के लिए रवाना होगया। वहां से बोधगया, बनारस, सारनाथ के बाद 13 जुलाई को दिल्ली पहुंच कर स्वदेश लौट जायेगा।

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.................................TIMES OF KUSHINAGAR