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नदियों को जोड़े जाने की योजना



नई दिल्ली। जल संसाधन मंत्रालय द्वारा तैयार की गई राष्ट्रीय दृष्टिकोण योजना में राष्ट्रीय जल विकास प्राधिकरण ने पहले ही हिमालयी घटक के तहत 14 संपर्कों तथा प्रायद्वीपीय नदी घटक में 16 संपर्कों की पहचान की है। इनमें से प्रायद्वीपीय घटक के 14 और हिमालयी घटक के दो संपर्कों की संभाव्यता रिपोर्ट पहले ही तैयार की जा चुकी है।

पांच प्रायद्वीपीय संपर्क इस प्रकार हैं: पहली केन-बेतवा, दूसरी. पार्वती-कालीसिंध-चम्बल, तीसरी. दमनगंगा-पिंजल, चैथी पार-तापी-नर्मदा और पांचवी गोदावरी (पोलावरम) - कृष्णा (विजयवाड़ा)। इनकी पहचान विस्तृत परियोजना रिपोर्टों को तैयार करने के लिए प्राथमिकता संपर्कों के रूप में की गई है।

माननीय उच्च्तम न्यायालय के दिशानिदेर्शों के अनुरूप सरकार संबद्ध राज्यों से सलाह मशविरा कर नदियों को आपस में जोड़ने की योजना पर काम कर रही है।

यह बात केंद्रीय जल संसाधन राज्य मंत्री, नदी विकास और गंगा पुनरुद्धार मंत्री श्री संतोष कुमार गंगवार ने सोमवार को राज्य सभा में एक लिखित उत्तर में कही।



गंगा विकास एवं पुनरुद्धार


नई दिल्ली। 12वीं योजना के दौरान राष्ट्रीय गंगा नदी थाला विकास प्राधिकरण (एनजीआरबीए), को लिए रुपये 2200 करोड़ का प्रावधान किया गया है। इस संस्था को गंगा नदी में प्रदूषण रोकने का काम सौंपा गया है। इसके अलावा गंगा नदी के पुनरुद्धार कार्यक्रम पर पूरा जोर दिया जा रहा है। कार्यक्रम में विभिन्न हितधारकों से सलाह-मशविरा करके गंगा की सफाई में प्रगति की समीक्षा की गई। इस काम में विभिन्न हितघारक हैं पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, जल संसाधन, गंगा पुनरूद्धार और नदी विकास तथा शहरी विकास मंत्रालय, पर्यटन, जहाजरानी, पेयजल सप्लाई और स्वच्छता तथा ग्राम विकास मंत्रालय, विभिन्न एनजीओ, विशेषज्ञ भी इस काम में साथ हैं तथा गंगा की सफाई के लिए काम कर रहे हैं। काम में गंगा नदी से जुड़े हुए पर्यावरण और प्रवाह जैसे मुद्दे शामिल हैं और उनके जरिये गंगा नदी में प्रदूषण पर नियंत्रण किया जा रहा है।

यह जानकारी सोमवार को राज्य सभा में जल संसाधन, नदी विकास और गंगा पुनरुद्धार राज्य मंत्री श्री संतोष कुमार गंगवार ने एक लिखित उत्तर में दी।

 नर्मदा बाँध की ऊचाई


माननीय उच्चतम न्यायालय के वर्ष 1994 में दाखिल रिट याचिका संख्या 319 के दिनांक 18.10.2000 आदेश में दिए गए निर्देशों के अनुसार नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण ने गुजरात सरकार के सरदार सरोवर नर्मदा निगम लिमिटेड ( एस एस एन एन एल), को खम्भों के निर्माण, ओवरहेड पुलों और खुले अथवा अनुमोदित डिजाइन के अनुसार एसएसपी पर उभरी स्थिति में दरवाजों की स्थापना के लिए पर्यावरण उप-समूह एवं पुनर्वास व पुनः बसाये जाने वाले उप-समूह एनसीए के उप-समूहों की नियमों और शर्तों के अध्याधीन प्रस्ताव के पहले चरण को पूरा करने की अनुमति प्रदान कर दी है।

इस परियोजना के पूरा होने के बाद ही पानी का पूरा उपयोग संभव हो सकेगा। फिलहाल बाँध के पानी का यथासंभव आंशिक उपयोग ही हो पा रहा है।

सरदार सरोवर परियोजना में एक वृहद नहर नेटवर्क की अभिकल्पना की है, जिसमें काम पूरा होने पर मुख्य नहर (458 कि.मी.) उप-नहर (2585 कि.मी.) विभाजक नहरें (5112 कि.मी.) लघु नहरें (18413 कि.मी.) तथा उप-नहरें ( 48058 कि.मी.) शामिल होंगी। जैसा कि नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण द्वारा अवगत कराया गया है कि मुख्य नहर ( 458 कि.मी.) , उप-नहर ( 2188 कि.मी.) विभाजक नहरों (2728 कि.मी.) तथा लघु नहरों (7640 कि.मी.) और उप-नहरों (10185 कि.मी.) का काम 30.9.2013 की स्थिति के अनुसार पूरा हो चुका है।

पीआईबी से मिली सूचना के अनुसार केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा पुनरूद्धार मंत्री श्री संतोष कुमार गंगवार ने सोमवार को राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।

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