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एक अधिकारी से जनप्रतिनिधि, कर्मचारी के साथ जनता भी परेशान


मिथिलेश कुमार गुप्ता
टाईम्स आफ कुशीनगर व्यूरों
दुदही, कुशीनगर। दुदही ब्लाक में तैनात एक अधिकारी के मनमानी रवैये से पूरा ब्लाक तबाह होने लगा है। ब्लाक में तैनात कर्मचारी ही नही ग्राम प्रधान भी परेशान हो रहे हैं परन्तु अधिकारी के बड़े ओहदे व ऊंची पहुंच के आगे सबकी जुबान को लकवा मार दिया है।

स्थिति ऐसी है कि विकास खण्ड में विकास के साथ सफाई व्यवस्था भी पूरी तरह ध्वस्त हो गयी है। अधिकारी की कार्य शैली की चर्चा आम जनता में भी होने लगी है। यही नही बात-बात में कहते हैं कि हम यहां घर बनाकर रिश्तेदारी करने नही आये हैं।

उनकी यह कहावत घोड़ा घास से दोस्ती करेगा तो खायेगा क्या ? हम तो बालू से भी तेल निकालने की कुबत रखते हैं। जब एक जिम्मेदार अधिकारी इस तरह की बात कहे तो सवालों के घेरे में आना स्वभाविक है। शौचालय, राज्य वित, तेरहवां वित, जन्म व मृत्यु प्रमाण पत्र, कुटृम्ब रजिस्टर या सफाईकर्मियों की तैनाती सबमें अतिरक्ति व्यवस्था लागू किया जाना इनकी आदत सी हो गयी है।

 चर्चा है कि विकास खण्ड को कुछ नेता ही संचालित कर रहे हैं और अधिकारी महोदय पर वरदहस्त है। चर्चाएं ऐसी है कि यह अधिकारी स्वयं आरोप पत्र तैयार करते हैं और स्वयं ही जांच करते हैं और फिर वारा-न्यारा भी कर देते है।
मालूम पड़ता है कि निष्पक्षता इनके स्वभाव में है ही नही तभी तो विकास से लेकर शौचालय निर्माण तक  में जांच की निष्पक्षता को दरकिनार कर सिर्फ अपने लिए बाते  करते हैं। ग्राम प्रधानों के उपर अतिरिक्त बोझ दिया जाता है। जिससे कार्य की शुचिता प्रभावित होती है। इसी तरह राज्य वित व तेरहवीं वित से बने विकास कार्यो की देख-रेख भी इन्ही को ही करना है। परन्तु इस कार्य में पर्याप्त मूल्य वसुलने में इन को महारत हासिल है।

 विभागीय सूत्रों बताते है कि इस अधिकारी का एक सूत्रीय कार्यक्रम चल रहा है। ये अधिकारी जनप्रतिनिधियों, जनता व कर्मचारियों को प्रताडि़त करते हैं। जिसकी चर्चा खुब हो रही है। जिससे  विकास कार्यों पर बुरा असर पड़ रहा है और शायद ही कोई ग्राम प्रधान विकास कार्य कराना चाहता है।

जनहित से जुड़ी एक छोटी समस्या जन्म व मृत्यु प्रमाण पत्र तथा परिवार रजिस्टर के लिए ही जरुरत मंद महीनों चक्कर लगाते हैं अंत मंे कुछ थक कर हार मान लेते हैं तो कुछ को लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के शरण में जाना पड़ता है। तब जाकर उन जरुरत मंदों को आवश्यक दस्तावेज हासिल होता है। स्थितयां ऐसी है कि ये अपने पद व गरिमा के अनुसार पूरे विकास खण्ड के दोहन में जुटे हुए है। 

सफाईकर्मी ग्राम सभाओं से लापता है, नियुक्ति कागज में चल रही है परन्तु सफाईकर्मी का कहीं अता-पता नही है। अगर किसी ने शिकायत कर दी तो इनकी और चांदी हो जाती है। पे विल रोकना फिर जारी करना वर्षों से यही खेल चल रहा है। नतिजा किसी भी ग्राम सभा में सफाई की मुकम्मल व्यवस्था नही हो सकी है।


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