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रिकार्ड बनाने में जूटी कुशीनगर के एड्स पीडि़तों की संख्या


   कुशीनगर में एड्स पहुचां इक्कीस से चौदह सौ के पार, विभाग हुआ तार-तार

अजय कुमार त्रिपाठी
टाइम्स ऑफ़ कुशीनगर ब्यूरो 
कुशीनगर। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में एड्स से मरने वालों की बढ़ती संख्या एक रिकार्ड बनाने में जूटी हुयी है। विभाग भी इस रिकार्ड पर अपना दिमाग लगा कर सरकारी धन को खुब लूटा रहा है। ऐसे ही देखते-देखते एक और युवक ने दम तोड़ दिया। मृत युवक मद्रास में रोजगार की तलाश के लिए गया था।
कुशीनगर के रामपूर पटटी निवासी यह 35 वर्षीय युवक रोजगार के लिए अपने गांव से मद्रास गया था। वह वहां से लौटा तो इस बीमारी से पीडि़त था। इस बात खुलाशा तब हुआ जब बूरी तरह रोगों से वह ग्रस्त हो गया । उसके बाद से दवा कराना शुरू कर किया और अचानक शुक्रवार की रात्रि में उसने दम तोड़ दिया। यही नही उसकी 30 बर्षीय पत्नी व 10 बर्षीय पुत्र भी इसी बीमारी के चपेट में आकर दम तोड़ चूके है।
 
अगर यह कहा जाय कि कुशीनगर जनपद की यह पहली घटना नही इसके पूर्व भी सैकड़ों लोग इसके शिकार होकर दम तोड़ चूके है तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नही होगी। कुशीनगर प्रशासन भले ही हाथ पर हाथ धरे बैठा पर मरने वालो की संख्या कम नही हुयी बढ़ती ही गयी।
 
कुशीनगर जनपद में मल्लूडीह, शिवपूर, भैसहा, फाजिलनगर, सपहा, सोहसा, सोन्दियां, रामकोला ऐसे चुनिन्दा गांव है जहां एड्स से मरने वालों की करीब 50 के पार हो गयी है। जिनमें रामपूर पटटी का भी नाम शुमार पर है। अब तो इन गांवों का नाम के साथ एड्स शुरू ही जूड़ गया है। अगर भूल से भी कोई इन गावों के नाम ले-ले तो फिर एड्स की कहानी शुरू हो जाती है ।

मरने वाले मर रहे है और इनके मौत को ढिढ़ोरा पीट कर सरकारी धन को भूनाने में स्वयं सेवी संस्थाए और विभाग पूर जोर कोशिश कर रहा है। सरकारी आकड़ो से ही अगर गौर करे तो जनपद में 2004 में 14 पुरूष 7 महिलाओं एड्स की बीमारी थी। देखते-देखते बर्ष 2011 में आकड़ा 300 के पास पहुच गया। जिसमें 172 पुरूष 128 महिला रोगी मिले। फिर एक साल बाद 73 और नये एड्स रोगी सामने आये। जिसमें अकेले पुरूषों की संख्या 206 हो गयी। सरकारी आकड़ों बर्ष 2013 में भी अभी तक 323 रोगी सामने आ चूके है।  स्थितियां ऐसी है कि एड्स पीडि़तों की संख्या इस समय चैदह सौ से भी अधिक होगयी है ।
 
इस बात का अन्दाजा इसी से लगाया जा सकता है कि विभाग और स्वयं सेवी संस्थाएं कितनी सजग है कि रोगियों के बढोत्तरी को कारण विभाग तक भी पता नही है। कि ये रोगी कैसे बढ़े ? कितने संक्रमित हुए और कितने वाहर से आये? इन प्रश्नों का जबाब के लिए अक्टूबर में जिलाधिकारी रिग्जियान सैम्फिल ने जब विभाग को तलब किया तो सबके होस उड़ गये। उसके बाद से भी विभाग की जागरूकता इतनी रही कि एक और व्यक्ति ने दम तोड़ दिया।

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