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जिन्दा रहते मार डाला मुझे प्रशासन ने अब तो मर जाना ही अच्छा



कुशीनगर। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में एक 70 बर्षीय महिला अपने आप को जीवित सावित नही कर सकी। जिसके कारण मिलने वाली सुविधाओं से उसे दर किनार कर दिया। अब हतास महिला बास्तव मर जाना चाहती है ।

पडरौना तहसील क्षेत्र के ग्राम मड़ार विंदवलिया निवासी तेतरी उम्र 70 बार-बार सरकार और उसकी व्यवस्था पर सवाल उठा रही है। वह जिंदा है, फिर भी उसे यह साबित करने के लिए 6 माह से दौड़ लगानी पड़ रही है। 
अब वह थक चुकी है। सवाल कर रही है कि जिंदगी के इस मोड़ पर वह जिंदगी से जंग लड़े कि या फिर खुद को जिंदा साबित करने की लड़ाई? पेंशन पाने की..? उसका सवाल यह भी है कि पेंशन के लिए उसे जीवित ही मृतक घोषित कर दिया गया, यह हक और अधिकार किसने दिया? षनिवार को उसने कहा कि भगवान तो जिंदा रखे है लेकिन प्रशासन ने मुझे मार दिया है।

मुझे मृत दिखाकर पेंशन से वंचित कर दिया गया। छह माह पूर्व अधिकारियों से शिकायत की तो समाज कल्याण विभाग को कार्रवाई के लिए लिखा गया। वहां गई तो आफिस के बाबू ने कहा कि ब्लाक से सहायक विकास अधिकारी से रिपोर्ट भेजवाओ, पेंशन बन जाएगा।

सहायक विकास अधिकारी ने कहा कि ग्राम प्रधान से जीवित होने का प्रमाण पत्र बनवाकर ले आओ। ग्राम प्रधान से बनवाकर ले गई तो कहे कि ठीक है खाते में पैसा चला जाएगा। इस दौड़ में मेरा पैर थक गया लेकिन ये अधिकारी कर्मचारी नहीं थके। मुझे दौड़ाते रहे लेकिन आज तक पेंशन नहीं दिया। अब भगवान उनके साथ न्याय करेगा। अब और दौड़ नहीं लगा सकती इससे अच्छा तो मर जाना ही बेहतर होगा।

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