दरक चूके चीनी के कटोरे से टपक रहे किसानों के अरमान
कुशीनगर । उत्तर प्रदेश के कुशीनगर के चार चीनी मिलों पर गन्ना किसानों की गाढ़ी कमाई के रुप में लगभग 90 करोड़ रुपये आज भी बकाये हैं और राहत के नाम पर हाई कोर्ट द्वारा दी गई डेड लाईन 22 अगस्त भी बीत गयी लेकिन इसका भुगतान नहीं कोई नही कर सका। खुद को किसानों का रहनुमा कहने वाले जनप्रतिनिधियों की रहनुमाई भी नहीं दिखी।
ऐसे में बच्चों के पढ़ाई, दवाई सहित जरुरी खर्च को लेकर वे पूरी तरह से सांसत की चक्की में पिस रहे हैं। स्थिति ऐसी हो गयी है कि चीनी मिलों की बंदी के चलते पहले ही दरक चुके चीनी के कटोरे में गन्ने की मिठास घोलने वाले गन्ना किसानों का दर्द कम होने के बजाए और बढ़ता जा रहा है। वर्ष 1996-97 के बकाए 18 करोड़ रुपए का भुगतान किसानों को आज तक नहीं किया जा सका तो अब चालू सत्र में भी उनकी गाढ़ी कमाई पर बकाए की तलवार लटक गई है।
ज्ञातव्य हो कि जनपद के चार चीनी मिलों सेवरही, कप्तानगंज, रामकोला, ढ़ाणा सुगर मिल पर चालू सत्र का लगभग 90 करोड़ रुपये बकाया है। किसानों के इस दर्द पर उच्च न्यायालय ने पूरी नरमी दिखाई और बीते जुलाई माह में आदेश दिया कि 22 अगस्त तक किसानों के बकाए इस गन्ना मूल्य का भुगतान कर दिया जाए। इसके लिए कोर्ट ने बाकायदा गाईड लाईन भी दी कि किश्तों में कब कैसे भुगतान करें।
आदेश के बाद भुगतान में तेजी तो आई लेकिन शत प्रतिशत भुगतान नही किया गया। 23 अगस्त को कोर्ट ने पूर्व में ही जारी आदेश के तहत सरकार के साथ चीनी मिल मालिकों को तलब किया था। जबकि सुगर केन परचेज एक्ट के मुताबिक गन्ना देने के 21 दिनों के अंदर किसानों को उनके गन्ना मूल्य का भुगतान हो जाना चाहिए। ऐसा न होने पर 16 प्रतिशत वाणिज्यिक ब्याज के साथ बकाए गन्ना मूल्य का भुगतान करना होगा।
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