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अंध विश्वास से जुड़ी घटनाओं में कुशीनगर आगें


कामख्या नारायण मिश्र 
दुदही, कुशीनगर । अंधविश्वास समाज के लिए कितना खतरनाक है ये बात तो सभी जानते हैं फिर भी अंधविश्वास के दलदल में धंसते चले जा रहे हैं। अंधविश्वास से जुड़ी कई घटनाओं के लिए उत्तर प्रदेश का कुशीनगर जिला आगें है।

उत्तर प्रदेश का इस जिले में कभी नर बलि, कभी डायन, कभी नाग देवता तो कभी कटोरा हांकनें जैसी घटनाएं होती रही है।

एक वर्ष पूर्व 2012 मे एक इसी तरह की घटना सामने आयी थी। कुशीनगर के विशुनपूरा थाना क्षेत्र के बंगाली पट्टी के देवीपुर में एक छः वर्षीय बालक अमरदीप को तीन नर पिशाच मिलकर गड़ा हुआ धन हासिल करने के लिए बलि देने जा रहे थे। लेकिन सही समय पर कुछ युवकों के सहयोग से मासूम की जान को बचाया जा सका। पुलिस ने इस मामले में कार्यवाही करते हुए तीनो अभियुक्तों को जेल भेज दिया जो अब तक सलाखों के पीछे हैं। 

इसी तरह की एक घटना 2 फरवरी 2010 में बरवापट्टी थानाक्षेत्र के अमवादीगर में घटी जहां एक छः वर्षीय बालिका को अगवा कर लिया गया तथा दो दिन बाद उसका शव गन्ने के खेत में मिला। जिसकी दोनों आंखे निकाल ली गयी थी। 

बरवापट्टी पुलिस की विवेचना में खुलासा हुआ था कि तांत्रिक सिद्वी के लिए बाप-बेटे ने बालिका की हत्या ही नही की थी बल्कि उसके साथ दुराचार भी किया था। इसी क्रम में कुछ महिलाओं का बाल कटने तथा डायन का आरेाप लगाकर मारने पीटने की घटनायें भी होती रही हैं।

अंधविश्वास की एक हैरत अंगेज घटना खैरवा में 6-7 अगस्त को घटी जिसमें मार पीट की नौबत आ गयी। चोरी का सामान तो नही मिला परन्तु तथाकथित तांत्रिक ने दो हजार रुपये ले चलता बना और स्थानीय सुरक्षा एजेन्सी मूकदर्शक बन कर बेखबर रही।

इस वैज्ञानिक युग में भी अंधविश्वास का अलख जगाने वाले समाज को खोखला करने में थोड़ा भी चूक नही रहे हैं। चोरी छिपे अपने को तथाकथित तांत्रिक बताकर लोगों का मानसिक, आर्थिक व शारिरीक शोषण करने में लगे हैं। इतने के बाद भी समाज का एक वर्ग विशेष अंधविश्वास के पीछे दौड़ रहा है। जबकि ये चतुर तांत्रिक वैज्ञानिक फार्मुलों को अपना कर समाज का शोषण कर रहे हैं और गर्त में ढकेल रहे हैं।  

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