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भारतीय स्टेट बैंक के कार्यप्रणाली से आहत है लोग


  • 1500 में खुलता है बचत खाता, किसान क्रेडिट भी पैसे के भरोसे


कुशीनगर । उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में पडरौना स्थिति भारतीय स्टेट बैंक द्वारा बरती जा रही अनियमितता से आहत लोग की अब चर्चाएं बैंक से सड़कों तक पहुच गयी है। छोटे या बड़े सभी इसके कार्य प्रणाली से आहत हैं।

कुशीनगर जनपद के पडरौना नगर स्थिति यह भारतीय स्टेट बैंक पहले अपने कार्यो के बदौलत ग्राहक सेवा में तत्पर रहता था लेकिन इघर कई माहों से इसकी गतिविधियां आम जन को प्रभावित करने लगी है। ग्राहको की सुविधा के लिये पडरौना नगर में इस बैंक की दो शाखाएं हुयी लेकिन ग्राहक और पीडि़त होते गये।


ऐसी चर्चा है कि इस बैंक की अनियमितता से भवन मालिकान भी पीडि़त है। जिसमें मालिकान की भवन में एचडीएफसी बैंक का 63 के बी विद्युत ट्रान्सर्फामर को प्लेटफार्म से उतरवा कर नीचे रखवा दिया गया। यह कार्य भारतीय स्टेट बैंक ने विद्युत विभाग से मिलकर 100 के बी का ट्रांसर्फामर उसी प्लेटफार्म पर रखवा दिया गया।

पुराना ट्रांसर्फामर कहां गया, किसने रखा, कही कोई पता ठिकाना नही है। इसके अलावे बैंक परिसर लीज क्षेत्र के अतिरिक्त भवन मालिक के हिस्से के भवन का ताला तोड़ कर जबरिया उसमें अपना ताला लगा दिया गया। ताला तोड़ने पर भवन मालिक ने जब एतराज किया तो ए जी एम गोरखपूर ने कहा  कि ‘‘ ताला तोड़ ही दिया तो ऐसी कौन सी बड़ी बात हो गयी। ’’ ऐसी चर्चाए भी सुनने में आ रही है कि मकान मालिक द्वारा शिकायती पत्र पर अधिकारी जाॅच में आये और विना शिकायत कर्ता से मिले बिना ही चले गये।

और यह कहते हुए कि शिकायत कर्ता मिलना नही चाहता है। यही नही कई मामले में भी ग्राहकों के शिकायत को नजर अन्दाज कर दिया जाता है। बैक में सब कुछ समझ लिया जाता है। शिकायत कर्ता को भनक तक नही लगती।

बैंक की स्थिति ऐसी हो गयी है कि यहां अब शिकायत करने से लोग डरते है। क्योकि कि शिकायत कर्ता को ही इसका खमियाजा भुगतना पड़ता है। उसे जबरन बैंक से वाहर निकाल कर पुलिस को सौप दिया जाता। यही नही कई ग्राहकों को चोर कह कर पीटा गया जब कि बाद में वह निर्दोष मिला। यही नही ऐसे कई कार्य है जो भारतीय स्टेंट बैंक के मिशन की धज्जिया उड़ा देते है।

खाता खोलने से लेकर पासबुक बनने तक एक ग्राहक को तकरीब 1500 रूपये खर्च कर देने पड़ते है। पैसे के बल पर सभी विवरण महत्वहीन हो जाते है और फर्जी परिचय पत्र पर खाते खुल जाते है। किसान केडिट का तो इससे भी बूरा हाल है पहले पैसा दो उसके बाद बात करों यहां की दिन-चर्या हो गयी है। कर्मचारी कह पड़ते है कि आज कमाई इतनी हुयी तो कल कम थी।

इस सम्बन्ध में गोपाल प्रसाद एजीएम गोरखपूर ने बताया कि इस सन्दर्भ में मुझे कोई जानकारी नही पता करवाता हुं।

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