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कुशीनगर में राजनीतिक उदासीनता के कारण कराह रहे गन्ना किसान




  • गन्ना किसानों की इस बार भी फीकी पड़ गयी दीवाली


कुशी नगर । उत्तर प्रदेश  के कुशी नगर में राजनीतिक उदासीनता के कारण गन्ना किसान कंगाल हो गये है। कर्ज से दब गये ये किसान कराह रहे है  कुषीनगर की दस चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का करीब 18.89 करोड़ के बकाया है।

प्रदेष के पूर्वी छोर पर बसे इस कुशी नगर जिला गन्ना की पैदावार काफी अच्छी होती है। जिसको देखते हुए यहां किसान गन्ना की फसल ज्यादा उगाता है। गन्ना ही यहां के किसानों का आय का श्रोत हे इसकी आय से ही बेटी की पढ़ाई व उसकी षादी का खर्च वहन होता है।

शुक्र है इन क्रेशर वाले का जो इन गन्ना किसानों को औने-पौने दाम ही सही खरीद कर उसका मुल्य दे देते है। चीनी मिलें तो लेती उसको देने का नाम ही नही लेती । गन्ना देने के बाद मुल्य लेने के लिए भी आन्दोलन  का सहारा लेना पड़ता है।  इस बार दीपावली भी फीकी पड़ गयी किसानों ने क्रेशर का ही सहारा लेकर इस बार किसी तरह से दीपावली का खर्च बहन किया नही तो दीपक के तेल की जगह केवल बाती ही दिखायी देती।

वोट पर के लिए राजनीति करने बाले कुषीनगर के तमाम दिग्गज नेताओं सहित अभी तक किसी दल ने इसके लिए अभी तक कोई पहल नही की है। जिसका सीधा असर चीनी मिलों पर पड़ता है। स्थिति ऐसी है कि चीनी मिल को चलाने के लिए कहना पड़ता है तो पुनः उसके मुल्य भुगतान के लिए आन्दोलन करना पड़ता है।

जिले में दो सत्ताधारी मंत्री है है तो गैर सत्ताधारी पार्टी के पूव्र प्रदेष अध्यक्ष है पर कोई किसानों के साथ खुल कर सड़क पर नही उतरा। ऐसे में किसानों की हालत बहुत ही खराब हो गयी है। पडरौना के सिकटा निवासी श  श म्भु मिश्रा बताते है गन्ना ने हमे किसी तरफ नही रखा है मिल समय से भुगतान देता है और नही गन्ना पेराई ही सुनिश्चित  हो पाती है। इस बार तो दीवाली भी ठीक से नही मनी महंगाई के इस भीड़ में गन्ना किसान काफी पीछे छुट गये।

ज्ञातव्य हो कि जिले की चार चीनी मिलें नब्बे के दशक से, जबकि पडरौना चीनी मिल 1997-98 से बंद है। उस समय पडरौना मिल पर किसानों का 12.49 करोड़ रुपये बकाया था। वर्ष 2004 में कुछ राहत तब मिली जब ढाढा चीनी मिल चालू हुई।

2005 में पडरौना मिल पुनः चालू हुई। किसानों के पुराने बकाये की कौन कहे नए का भुगतान नहीं किया। प्रतिफल बकाया बढ़कर 16 करोड़ 89 लाख हो गया। बकाये का भुगतान न होने से सैकड़ों किसानों पर कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है। वेटी की शादी, बच्चों की शिक्षा, मकान बनाने की उम्मीदों पर पानी फिर गया है।

बायफर/औद्योगिक एवं वित्तीय पुनर्गठन बोर्ड, के निर्देश के बाद भी पडरौना चीनी मिल ने किसानों के 16 करोड़ 89 लाख के बकाये का भुगतान नहीं किया। बायफर ने छह किश्तों में बकाया भुगतान का निर्देश दिया था।

वर्तमान समय में कप्तानगंज, रामकोला पंजाब, खड्डा, पडरौना, ढाढा, सेवरही चीनी मिल चालू हालत में है, जबकि लक्ष्मीगंज, छितौनी, रामकोला खेतान, कुठकुइयां की चीनी मिले बंद हैं।

जिलाधिकारी  आर सैंफिल ने बताया कि गन्ना किसानों के साथ नाइंसाफी नहीं होगी। किसानों का बकाया भुगतान फाइनल करने के बाद ही चीनी मिलें चालू होंगी। इसके लिए पिछले दिनों चीनी मिल के प्रबंधकों के साथ हुई बैठक में निर्देश दिया जा चुका है।


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