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आतंकी अजमल कसाव को दे दी गयी फासी


मुंबई। मुंबई हमले के एकमात्र दोषी आतंकी अजमल कसाब को पुणे की यरवडा जेल में बुधवार सुबह 7:30 बजे फांसी दे दी गई, जिसके बाद डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पाकिस्तान द्वारा उसका शव लेने से इंकार करने के बाद उसके शव को भी जेल में ही दफना दिया गया। इससे पूर्व उसको मुंबई के आर्थर रोड जेल से पुणे की यरवडा जेल में शिफ्ट किया गया।

महाराष्ट्र के गृहमंत्री आरआर पाटिल ने कसाब को फांसी दिए जाने की पुष्टि की है। इसके बाद केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने भी कसाब को फांसी दिए जाने की जानकारी दी है। कसाब को फांसी दिए जाने के बाद जेल प्रशासन ने राज्य के गृह सचिव को भी इसकी सूचना दी। इस पूरे ऑपरेशन को ऑपरेशन एक्स का नाम दिया गया था।

इससे पहले उसको बेहद गोपनीय तरीके से कसाब को मुंबई की आर्थर रोड जेल से पुणे की यरवडा जेल में शिफ्ट किया गया। इसकी वजह थी कि आर्थर रोड जेल में फांसी देने की सुविधा नहीं है। यह सुविधा केवल पुणे की यरवडा जेल और नागपुर की जेल में ही है। लिहाजा उसको यहां शिफ्ट किया गया था।

16 अक्टूबर को कसाब की दया याचिका को गृह मंत्रालय ने खारिज कर उसे राष्ट्रपति के पास भेज दिया था। जिसके बाद 5 नवंबर को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उसकी दया याचिका खारिज कर इसे वापस गृह मंत्रालय भेज दिया। गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने 7नवंबर को कसाब की फाइल पर दस्तखत कर इसको आठ नवंबर को वापस महाराष्ट्र सरकार को भेज दिया था। इसी दिन यह तय हो गया था कि कसाब को कब और कहा फासी दी जाएगी

कसाब को राष्ट्रपति द्वारा याचिका खारिज करने के बाद मुंबई की आर्थर रोड जेल से यरवडा जेल में शिफ्ट किया गया था। इसे बेहद गोपनीय तरीके से सरकार ने अंजाम दिया। इस बीच यरवडा जेल की सुरक्षा को और पुख्ता किया गया। कसाब को यहां लाने के बाद से ही किसी भी पुलिसकर्मी को जेल से बाहर नहीं जाने दिया गया। कसाब को फांसी दिए जाने तक सभी पुलिसकर्मियों के मोबाइल भी ले लिए गए थे, जिन्हें कसाब को फांसी दिए जाने के बाद लौटा दिया गया।

वरिष्ठ वकील उज्जवल निगम ने कसाब को फांसी दिए जाने की पुष्टि करते हुए इसपर खुशी जताई। उन्होंने कहा कि कसाब की फांसी से 26/11के पीड़ितों को न्याय मिल गया है। इसके साथ ही आतंकियों को भी भारत ने यह सबक दिया है कि वह भारत पर हमला करने वालों को माफ नहीं करेगी।

26/11 हमले के दोषी आतंकी को आर्थर रोड जेल की सबसे अधिक सुरक्षित सैल में रखा गया था। इस हमले में 166 लोगों की मौत हो गई थी। 27 नवंबर 2008 को कसाब को गिरफ्तार किया गया था। महाराष्ट्र सरकार द्वारा कसाब पर करोड़ों रुपये खर्च करने पर भी कई बार सवाल उठे थे। गौरतलब है कि 29 अगस्त 2012 को सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी।

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