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प्रदोष काल की पुजा होती अति लाभदायक-पं. शिवजी त्रिपाठी




कुशीनगर । कुशीनगर के प्रसिद्ध संस्कृत विद्वान पं. शिवजी त्रिपाठी ने बताया कि दीपावली के दिन लक्ष्मी-गणेश पूजा सामान्यतः किसी भी समय की जा सकती है किंतु विशेष समय पर पूजा से अधिक फल प्राप्त होता है।

धनवान बनने के लिए जरूरी है कि सही समय पर ही पूजन किया जाये। दीपावली के दिन प्रत्येक घर श्री महालक्ष्मी अवश्य आती है बर्शते उन्हे राकना कठिन काम होता है।  पूजा का श्रेष्ठ मुहूर्त स्थिर लग्न को मानते है उयकी यह मान्यता है कि  शुभ मुर्हूत पर पूजन करने से लक्ष्मी स्थिर रूप में होकर घर में वास करती है। इनमें प्रमुख वृष, कुम्भ व सिंह लग्न होता है। ये तीनों लग्न स्थिर होते है।

कुशीनगर के रवीन्द्राश्रम संस्कृत  विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री त्रिपाठी बताते है कि  शास्त्रों के अनुसार दीपावली की पूजा के लिए श्रेष्ठ मुहूर्त कार्तिक अमावस्या का प्रदोषकाल का समय होता है। इस अवधि में वृष लग्न का संयोग होता है। आने वाली अमावस्या को कुम्भ व सिंह लग्न का प्रारम्भ काल सायंकाल को पांच बजकर तीस मिनट से सात बजकर 25 मिनट तक रहेगा। महालक्ष्मी जी पूजन पूरे दिन तथा अर्द्धरात्रि तक जारी रहेगा।

इस वर्ष मंगलवार 13 नवम्बर को व्यापारी वर्ग के लिए धनु लग्न को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। यदि इस लग्न में व्यापारी लोग अपने प्रतिष्ठान एवं दुकान में पूजन कराये तो उनकी समस्त बाधाएं दूर हो कर व्यापार अच्छा चलने लगेगा क्योंकि धनु लग्न का स्वामी देव गुरू बृहस्पति है। इस दिन यह लग्न प्रातः काल नौ बजकर 25 मिनट से ग्यारह बजकर 29 मिनट तक रहेगा। इसके बाद 11 बजकर 30 मिनट से दो बजकर 47 मिनट तक मकर और कुम्भ दोनों लग्न भोग करेंगे।

लग्नेश की स्थिति भाग्य स्थान में होने से भाग्य की वृद्धि होगी। सायंकाल प्रदोष काल की शुभ वेला शुरू होगी जो पांच बजकर 30 मिनट से सात बजकर 25 मिनट तक विशेष योग रहेगा। उसके बाद रात्रि आठ बजकर 24 मिनट से ग्यारह बजकर 56 मिनट तक इस समय पूजन करने पर लक्ष्मी जी की कृपा होगी।

इसके बाद अर्द्धरात्रि बारह बजकर 25 मिनट से तीन बजकर 27 मिनट तक लक्ष्मी जी का पूजन कल्याणकारी सुखमय अंतिम पूजन मुहूर्त काल रहेगा। लक्ष्मी जी की पूजा करने पर सभी प्रकार की इच्छाएं पूर्ण होती है और कृपा मिलती है सदैव कल्याण होता है। 14 नवम्बर बुधवार को गावर्धन पूजा, अन्नकूट प्रातःकाल नौ बजकर 15 मिनट से 6 बजकर 57 मिनट तक विशेष मुर्हूत समय रहेगा। भगवान गोवर्धन की पूजा के लिए गोधूलि बेला शुभ मानी जाती है। इस प्रकार 15 नवम्बर गुरूवार को भैया दूज मनायी जायेगी।


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