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बहुचर्चित मैत्रेय परियोजना के लिए किसानों जमीन देने को राजी



कुशीनगर।  भगवान बुद्ध की 500 फुट ऊंची प्रतिमा के स्थापना से जुडी बहुचर्चित मैत्रेय परियोजना के लिए किसानों के जमीन देने पर सहमति के बाद उनके लिए करार पत्र बनवाने का काम शुरू हो गया।

ज्ञातव्य हो कि बौद्ध अनुयायियो ने भगवान मैत्रय को उपहार स्वरूप देने वाले इस इस परियोजना को कुशीनगर में स्थापित करने की योजना बनायी थी क्योकि बौद्ध धर्म ग्रन्थों के अनुसार भगवान बुद्ध को कुशीनगर अति प्रिय है।

जिसको लेकर वर्ष 2001 में मैत्रेय परियोजना के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के साथ मैत्रेय ट्रस्ट ने समझौता किया था। इसके तहत जमीन मिलते ही परियोजना के निर्माण का कार्य शुरू होने की बात कही गई थी। वर्ष 2003 में कुशीनगर से सटे अनिरुद्धवां, सबयां, कसया आंशिक, विशुनपुर विंदवलिया, सिसवां आदि सात गांवों की आठ सौ एकड़ जमीन के अधिग्रहण की अधिसूचना जारी हुई थी। इसके बाद प्रभावित किसानों ने आंदोलन शुरू कर दिया था।

भूमि बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष गोवर्धन प्रसाद गोड़ के नेतृत्व में किसान लगातार सिसवा महंथ चैराहे पर धरना दे रहे हैं। पिछले सप्ताह अचानक परियोजना वापस जाने की खबर आने के बाद इस मामले में सीधे मुख्यमंत्री ने हस्तक्षेप किया था।

डसके बाद मंगलवार को किसानों के साथ हुई बैठक के बाद जिलाधिकारी रिग्जियान सैंफिल ने बताया कि सबयां के किसान सतीश मणि त्रिपाठी ने हाईकोर्ट में एक मुकदमा दाखिल करके अधिग्रहीत जमीन वापस करने अथवा मुआवजा बांटने की मांग की थी। न्यायालय ने इससे प्रभावित हो रहे किसानों को तत्काल मुआवजा बांटने का आदेश दिया था। शासन की ओर से न्यायालय के आदेश का तत्काल अनुपालन कराने का निर्देश दिया गया है। 

जिलाधिकारी के रिग्जियान सैंफिल ने बताया कि जमीन के रेट तय हो चुके हैं। बैठक में किसानों ने जमीन का रेट 1500 रुपये प्रति वर्ग मीटर की मांग रखी। अंत में किसान 945 रुपये प्रति वर्गमीटर की दर से मुआवजा लेने पर सहमत हो गए। जो भी किसान इस दर पर सहमत हैं वे करार पत्र पर हस्ताक्षर करके मुआवजा ले सकते हैं। जिन्हें आपत्ति है उनके साथ प्रशासन कोई जोर-जबरदस्ती नहीं करेगा। डीएम के अनुसार अब तक 1700 किसान प्रशासन के संपर्क में आ चुके हैं।

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