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कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर बासी नदी पर लाखों लोगों ने डूबकी लगायी


कुशीनगर । उत्तर प्रदेश के कुशीनगर की सीमा पर बहने वाली बासी नदी पर पवित्र पर्व कार्तिक पूर्णिमा को लेकर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ इकट्ठा हुई थी। बुधबार की सुवह से शाम तक लाखों लोगों ने डूबकी लगायी और दान किया।

बताया जाता है कि पूर्णिमा के दिन भगवान मत्स्यावतार में अवतरित हुए थे, तबसे इस दिन स्नान व दान की विशेष महत्ता है। मंगलवार सुबह से ही श्रद्धालुओं का जत्था बासीं नदी पर पहुंचना शुरू हो गया था और बुधवार को शाम तक लोग डूबकी लगायी। इस बासी नदी के स्नान की महत्ता का आकलन इसी से किया जा सकता है कि सौ काशी एक बासी के बराबर है।

ज्ञातव्य हो कि कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर स्नान के लिए जिले भर से लोग पवित्र नदी बांसी पहुंचते हैं। सुबह से ही नदी पर पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की भारी भीड़ नगर में बनी रही। कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान तथा दीपदान का बड़ा ही महत्व है।

इसी दिन सत्यभामा ने भगवान कृष्ण को नारद जी को दान स्वरूप भेंट कर दिया था। बाद में नारद जी ने कृष्ण को सोने से तौल वजन बराबर सोना देने पर उन्हें मुक्त करने की बात कही। गोपियों समेत सभी ने सोने से भगवान कृष्ण को तौला लेकिन सोना हर बार कम ही रहा। आखिर में रुक्मिणी ने तुलसी का पत्ता रख कमी को पूर्ण कर दी और भगवान मुक्त हुए। तभी से तुलसी के पौधे के नीचे कार्तिक माह में दीपदान का भी महत्व है, पूर्णिमा के दिन दीपदान कर लोग इस परंपरा को पूर्ण करते है।

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