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कुशीनगर में मनरेगा का हाल बूरा, मजदूर दर-दर भटकने को मजबूर



कुशीनगर। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में मनरेगा का हाल बूरा है काम के नाम पर कुछ नही स्थिति ऐसी है कि मजदूरों दर-दर भटकने को मजबूर है। अब मजदूर काम के तलाश में शहरों की ओर पलायन कर रहे है। लेकिन वहां भी अब काम न मिलने के कारण उनके घर का चूल्हा नहीं जल पा रहा है।

मजदूरों की स्थिति सुधारने के लिए सरकार मनरेगा जैसी योजना चला रखी है कि उन्हे  काम मिलेगा। परंतु विकास खंड मोतीचक में यह मजदूरों के लिए लालीपाप साबित हो रही है।

कुशीनगर का यह विकास खंड 63 ग्रामसभा व 83 राजस्व गांव में बटां है। इस विकास खण्डो में 21019 जाब कार्ड धारकों का पंजीकरण किया गया है। जिसमें 119880 मानव दिवस सृजित किया गया, जिसके हिसाब से एक कार्ड धारक को औसतन वर्ष में पांच दिन ही रोजगार मिल सका।

जहां सरकार मजदूरों को 100 दिन की रोजगार गारन्टी देती है। वही यह हाल देख सरकार की गारन्टी पर भी सबाल उठने लगे है। कि कहा गयी गारन्टी और उसकी योजना कि एक वर्ष में मजदूरों को 5 दिन का रोजगार मिल रहा है। 95 दिन वह रोजगार के लिए दर-दर भटक रहा है।

विकास खंड के गांव पिपरा, नान्हू मुंडेरा, सतभरिया, अथरहा, फरदहा आदि दर्जनों गांवों में जाब कार्ड धारक मजदूर काम के अभाव में दर दर भटक रहे है। काम के अभाव में कई मजदूरों के घरों में दोनो वक्त चूल्हा नही जल पा रहा है।

इस संबंध में मुख्य विकास अधिकारी हृदय शंकर तिवारी का कहना है कि मजदूरों को गांव में ही रोजगार मिलेगा। उनका पलायन शहरों में नही होने दिया जाएगा।

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