Breaking News

आज तक नही बदली कुशीनगर की दशा और दिशा


    रोजगार के लिए तरस रहे युवा, अवसर भी समाप्त 
  भूख से मरने बालो की बढ़ती गयी संख्या
 गण्डक की तबाही को रोकने के लिए नही बन कोई दीवार
टाईम्स आफ कुशीनगर व्यूरो।
कुशीनगर। राजनीति की ऊर्वरा धरती कुशीनगर ने अपने लोक सभा की दशा और दिशा बदलने के लिए सोशलिस्ट पार्टी से लेकर कांग्रेस, भाजपा, सपा, जनता दल यहां तक की निर्दल प्रत्याशी को भी जनता ने सिर आंखों पर बिठाया। बावजूद इसके न मतदाताओं की दशा बदली और न दिशा बदली। 

रोजगार को बढ़ावा के लिए कोई पहल नहीं हुई और नही तो प्रत्यक्ष ओर अप्रत्यक्ष रूप रोजगार देने वाले अवसर भी समाप्त हो गये। चलती चीनी मिले बन्द हो गयी और हजारों कर्मचारी भुखमरी के कगार पर पहुच गये।
इंसेफेलाइटिस, कालाजार से होने वाली मौत का सिलसिला शुरू हो गया। भूख से होने वाली मौतें लोक कल्याणकारी राज्य की संवैधानिक व्यवस्था पर ही बड़ा सवाल बनकर खड़ी होने लगीं हैं। बाढ़ से उजड़ते आशियाने रहनुमाओं की रहनुमाई पर बड़ा सवाल बनने लगे । तब से लेकर अब देखा जाये तो केवल सवाल ही जो जबाब की इन्तजार कर रहे है। यही वजह है कि आजादी के बाद से लेकर आज तक दशा और दिशा बदलने की आस लिए मतदाता खड़े हैं। थोड़ा सुकून सड़कों को लेकर है तो रेल पटरी की आस और हवाई उड़ान के सपनों का बड़ा दर्द भी काफी दिनों से है। कभी सिसकियों की गूंज और सुविधाओं का रोना विकास की तस्वीर को मिताटी आ रही है।
पूर्वाचल के अंतिम छोर पर बिहार की सीमा से सटा यह कुशीनगर आजाद भारत के 67 सालों बाद भी अपने आप को विकास की मुख्य धारा से अछुता महसूस कर रहा है। गन्ना, गंडक की समस्या से निजात पाने की तड़प बनी हुई है। अब तो युवाओं के रोजगार पाने की हसरत भी मरती आ रही है।
विकास के मुकम्मल राह की तलाश है। इस तलाश को लेकर ही मतदाताओं ने सबको अवसर दिया। कभी लगातार रहनुमाओं पर ऐतबार किया तो कभी उनको बदल कर देखने का प्रया किया। अपनी इस चाहत में उन्होंने निर्दल प्रत्याशी को भी सिर आंखों पर बिठाया। बावजूद इसके अन्तर्राष्ट्रीय पर्यटक स्थली कुशीनगर को रेल से जुड़ने की हसरत पूरी न हो सकी। अमान परिवर्तन के बाद भी पडरौना से एक्सप्रेस ट्रेनों पर सवार हो मेट्रो शहरों का सुहाना सफर भी पूरा न हो सका और वे वादे जिसकी बुनाय पर मतदाताओं ने बोट दिये  वे भी रेल की पटरी पर पूरी तरह से न दौड़ा सके। हवाई उड़ान के सपनों को आज तक मंजिल न मिल सकी। आजादी के पहले बनी कसया हवाईपट्टी आज भी अपने विस्तार के लिए तड़प् रही है। कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट निर्माण के नाम पर केवल जमीन लिया गया, उड़ान के सपने को जमीन नहीं दी जा सकी।

गंडक की तबाही को रोकने की मजबूत दीवार आज तक खड़ी न हो सकी। बाढ़ की लहरों के साथ बेबस लोगों का आशियाना उजड़ना उनकी तकदीर बनी हुई है। बंधे पर शरण लिए बाढ़ पीडि़तों के दर्द की तस्वीर, जानलेवा बीमारी के मौत की चीख, से भी भयावह है।  अबकी बार 16वें लोकसभा के चुनावी समर में कांग्रेस से यहां के सांसद और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री कुंवर आरपीएन सिंह मैदान में हैं, तो भाजपा से राजेश पाण्डेय ऊर्फ गुड्डू पाण्डेय ताल ठोंक रहे हैं। बसपा से डा. संगम मिश्र तो सपा से विधायक राधेश्याम सिंह मैदान में हैं। आप से अखंड प्रताप सिंह तो पीपा से कासिम अली मैदान मे हैं।

परिसीमन के बाद लोकसभा क्षेत्र की स्थिति-
पहले संसदीय क्षेत्र का नाम पडरौना था और इसमें सेवरही व फाजिलनगर विधान सभा भी आशिक रूप से शामिल थे। नए परिसीमन में ये दोनों विधानसभा देवरिया लोकसभा में पूरी तरह से शामिल हो गए हैं। बदला यह भूगोल लोकसभा के चुनाव में आशिक रूप से प्रभाव जरूर डालेगा।

कोई टिप्पणी नहीं

टिप्पणी करने के लिए आप को धन्यबाद!

.................................TIMES OF KUSHINAGAR