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भारत से जाने पर रो पड़ी जर्मन युवती डैनियाला



  •    कुशीनगर में आकर डैनियाला ने देखा ग्रामीण भारत का रूप

  •     मां का आंचल, भाई और बहनों का कैसा होता है प्यार

  •    डैनियाला के आंखो में आंशु देख रो पड़ गांव वालें


कुशीनगर । भारत की यात्रा करने आयी जर्मनी की फिजियोथेरेपिस्ट डैनियाला को कुशीनगर के गांव की माटी की खुब भायी और जाते-जाते रो पड़ी। वह यहां ग्रामीण संस्कृति और परम्परा में ढलने के प्रयास में लग गयी थी और तीन ही दिन में ही ग्रामीणों से ऐसी जुड़ी की जब उसकी विदाई का समय आया तो उसके साथ सभी की आंखे नम हो गयी।

डैनियाला भारत आने के बाद मुम्बई, गोवा, कर्नाटक में 4 सप्ताह ही बिताया और फिर बैंकाक चली गयी थी। इतने दिनों में उसे इस देश की माटी ने अपने तरफ खीच लिया। बैंकाक से कलकता आने के बाद वह 2 मई को गोरखपुर आयी जहां से उसे कुशीनगर आना था।

जहां बस में बैठने के बाद उसकी भेंट ग्राम सखवनिया निवासी दिनेश मिश्र के पुत्र अमन से हुई। बातचीत के दौरान डैनियाला ने यह इच्छा व्यक्त किया कि वह उनके गांव में क्या कुछ समय बिता सकती है इस पर अमन तैयार होकर उसे अपने गांव ले गये।

उनके परिवार में जाकर पहले ही दिन डैनियाला पूरी तरह घुलमिल गयी। इस दौरान उसे गांव का भोजन जर्मन युवती को बहुत ही भाया। उसने गांव में भी घुमा और उसे गांव पसन्द भी आया। उसने यहां पूजा उपासना की पद्धति को भी जाना और गांव के मंदिर में जाकर अगरबत्ती जला श्रद्धा के साथ हाथ जोड़कर घण्टों पूजा भी की।

डैनियाला को आम पसन्द हैं जब उसको कच्चे आम की चटनी खिलायी गयी तो उसके खुशी का ठिकाना नहीं था। अमन के घर में जब वह खाना खाने गयी तो पहले तो उसने चम्मच से खाना खाना शुरू किया लेकिन जब अमन की मां व अन्य बहनों को हाथ से खाना खाते देखा तो उसने भी अपना चम्मच रख दिया और फिर हंस हंसकर उसने सभी के साथ बैठकर खाना खाया।

अमन की मां जो अंग्रेजी बोलना नहीं जानती और डैनियाला हिन्दी पूरी तरह से नहीं जानती लेकिन आंखों से एक दूसरे की भावना को समझने का पूरा प्रयास हो रहा था। ऐसे में जब अमन की मां ने डैनियाला के सर पर हाथ फेरा तो उसकी आंखों से आंसू की धारा बहनी शुरू हो गयी।

डैनियाला जब गांव के नल पर बच्चों के मानिन्द पानी पीती तो सब लोग उसे एक पल के लिए देखने लगते डैनियाला टूटीफूटी हिन्दी और भोजपूरी के भी कुछ शब्दों को जान गयी थी।उसके माध्यम से गांव के लोगों से बात भी करती थी।

 डैनियाला ने अपने अनुभव के बारे में बताया कि गांव के लोगों में प्रेम की भावना समाहित है वे बहुत आदर और इज्जत देते हैं। मैं तीन दिन से यहां हूँ और इस अनुभव से मैं अलग होना नहीं चाहती। उसने गांव के लोगों को कई तरह के योग और कसरतों को भी बताया। डैनियाला के इस प्रवास को लेकर अमन ने बताया कि उसे गांव का जीवन बहुत ही अच्छा लगा। क्योंकि अब तक वह किसी गांव में नहीं गयी थी।

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