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राजस्व के मामले में कुशीनगर माना जाने लगा सम्बेदनशील



प्रत्येक कार्यदिवस में 100 से ज्यादा फरियादी करते अधिकारियों से फरियाद

कुशीनगर । उत्तर प्रदेश का कुशीनगर जिला राजस्व विवाद को लेकर संवेदनशील माना जाने लगा है। कुशीनगर में राजस्व विवाद के रोज 100 से अधिक मामले डीएम, एसडीएम और अन्य अधिकारियों के पास आते हैं। 

जमीन के विवाद में फिर एक जान चली गई। एक वर्ष के भीतर आठ लोगों की जान जा चुकी हैं लेकिन प्रशासन इस पर ध्यान नहीं दे रहा है। अब लोग सवाल उठाने लगे हैं कि आखिर प्रशासन जमीन के विवाद के मुद्दे पर कब सचेत होगा।

कहने को तो राजस्व संबंधी विवादों को निपटाने के लिए तहसील दिवस और थाना पंचायत का आयोजन होता है लेकिन अधिकारियों के टालू रवैये से इसका खास लाभ पीडि़तों को नहीं मिल रहा है। जनपद में पिछले एक वर्ष में छह लोग राजस्व विवाद के चलते अपनी जान गंवा बैठे हैं।

हालत ऐसी है कि बीते साल 20 अगस्त को पडरौना में पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता सहित छह लोगों की हत्या जमीन के एक टुकड़े की वजह से हो गई। इस साल पडरौना शहर के सुभाष चैक पर जमीन के विवाद में एक व्यापारी की जान चली गई।

एक बार फिर तमकुहीराज तहसील के गौरी श्रीराम गांव में एक व्यक्ति की जान जमीन के विवाद में चली गई। जान जाने के बाद प्रशासन सक्रिय हुआ लेकिन इसके बाद फिर पहले जैसी स्थिति हो जाती है। गौरी श्रीराम गांव में हुए विवाद में जान गंवाने वाले प्रभु पटेल के घरवाले बताते हैं कि मामले को सुलझाने के लिए कई बार तहसील दिवस से लेकर आला अधिकारियों तक को प्रार्थना पत्र दिया जा चुका है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो सकी। 
हालात ऐसे है कि प्रतिदिन कोई न कोई परिवार राजस्व विवाद को लेकर किसी दुसरे से लड़ पड़ता है और प्रशासन की शिथिलता से लड़ाई मौत का कारण बन जाती है। 

एक नजर डालते हुए जिले के श्रीनाथ शुक्ल, अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) बताते है कि राजस्व मामलों के निपटारे में तेजी की जा रही है। अब तो राज्य स्तर पर मानीटरिंग की जा रही है। कोई भी मामला 15 दिनों से अधिक समय तक लंबित नहीं रह रहा है। कुछ मामलों में लोग उग्र हो जा रहे हैं। प्रशासनिक स्तर पर ढिलाई नहीं बरती जा रही है।

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