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भ्रुण हत्या से बड़ा नरसंहार दुसरा नही कोई -हाई कोर्ट



कुशीनगर । आज देश में कन्या भ्रुण हत्या के खिलाफ बने कानून का प्रभावी रूप से पालन न कराया जाना सर्वनाक सावित हो रहा है ऐसे में जहां पुरूष के सापेक्ष महिलाओं की संख्या घट रही वही दसका बूरा असर समाज पर भी पड़ने लगा है।

हालत ऐसी है कि लाभ की खातिर मॉडर्न टेक्नालॉजी का दुरुपयोग कर डाक्टर लिंग परीक्षण कर लेते है और इसकी जानकारी उस परिवार को दे देते है जिससे लड़कियों को भ्रुण अवस्था में मार दिया जाता है।  

इघर कुशीनगर जनपद में अल्ट्रासाउंड और एक्स-रे सेंटरों पर छापा मार कई अल्ट्रासांउण्ड सेन्टरों के लाइसेंस जिलाधिकारी ने निरस्त करने का आदेश दिया था। जिसके खिलाफ उच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय इलाहाबाद की खंड पीठ के न्यायाधीश सुनील अंबवानी और न्यायाधीश मनोज कुमार गुप्ता ने 17 मई को इसकी सुनवाई के दौरान जिलाधिकारी कुशीनगर के इस कार्य की सराहना करते हुए कहा कि क्वालीफाइड और पंजीकृत डॉक्टर भी इस तरह के काम में लिप्त हैं। पिछले एक दशक में लाखों कन्याओं को गर्भ में ही मारा गया है। आधुनिक मेडिकल साइंस के इतिहास में इतने बड़े पैमाने पर हुए नरसंहार के समानांतर दूसरा अपराध देखने को नहीं मिलेगा।

इसकी जिम्मेदारी देश के डाक्टरों पर है। न्यायाधीशों ने कहा कि उत्तर प्रदेश में इस अपराध के खिलाफ कानून का सही तरीके से पालन नहीं कराया जा सका है। यूपी में ऐसे क्लीनकों को न तो सील किया जा रहा है ना ही लिप्त पाए जा रहे डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई हो रही है।न्यायाधीशों ने कुशीनगर में अल्ट्रासाउंड केंद्रों के लाइसेंस निरस्त करने के मामले को मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया के पास सुनवाई के लिए भेज दिया। 


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