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शिक्षकों की कमी गुणवत्तापरक शिक्षा की राह में सबसे बड़ी रुकावट प्रो. बेदप्रकाश



कुशीनगर। उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की भारी कमी गुणवत्तापरक शिक्षा की राह में सबसे बड़ी रुकावट है इसके लिए राज्य सरकारों को विशेष पहल करना चाहिए।

शिक्षा की गुणवक्ता पर हुए गहरी चिंता व्यक्त उक्त बाते विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के चेयरमैन प्रो. वेदप्रकाश के कही। उन्होने कहा कि इसके लिए  शिक्षकों की सेवानिवृत्ति आयु कार्यक्षमता के आधार पर 70 वर्ष की जा सकती है। फिर भी यह स्थाई विकल्प नहीं होगा।

श्री प्रकाश शनिवार को स्थानीय होटल में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। प्रो. वेदप्रकाश ने कहा कि शोधकार्यो को बढ़ावा देने के लिए शोधार्थियों की संख्या और छात्रवृत्ति में वृद्धि की जाएगी। इसी के तहत हाल ही में केंद्रीय विश्वविद्यालयों को एम फिल व पीएचडी सीटों की संख्या आवश्यकतानुसार बढोतरी करने की छूट दी गई है।

उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा के प्रति रुझान बढ़ रहा है। यह अच्छा संकेत है। जूनियर रिसर्च फेलोशिप की राशि में वृद्धि करने के चलते एक बर्ष पूर्व में जहां औसतन 7 लाख अभ्यर्थी नेट-जेआरएफ की परीक्षा में सम्मिलित हुए थे वहीं इस बार उनकी संख्या 15 लाख हो गई। इसे 2017 तक संख्या 35 लाख करने की योजना है। 

यूजीसी ग्रामीण क्षेत्रों में उच्च शिक्षा संस्थानों को अनुदान बढ़ाकर और अतिरिक्त अनुदान देकर तथा रोजगारपरक शिक्षा के माध्यम से ग्रामीण युवाओं को आकर्षित करने का प्रयास कर रहा है। डीम्ड विश्वविद्यालयों को बंद करने के सवाल पर यूजीसी चेयरमैन ने कहा कि बंद करने की अपेक्षा समय सीमा निर्धारित कर डीम्ड विश्वविद्यालयों को सुधरने का अवसर प्रदान करने की यूजीसी पक्षधर है। 

श्री प्रकाश ने एक सबाल के जबाब में कहा कि देश में उन्हीं विदेशी विश्वविद्यालयों को आने की अनुमति दी जाएगी, जिनकी साख अच्छी होगी। विदेशी विश्वविद्यालय देश के विश्वविद्यालयों से साझा होकर ही काम कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि रोजगार परक शिक्षा के लिए बैचलर आफ वोकेशनल एजुकेशन पर काम करने के लिए यूजीसी ने फ्रेम वर्क तैयार कर लिया है।

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