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कुशीनगर में एक ऐसा व्यक्ति जिसका हर बच्चा मर जाता है 13-14 साल की उम्र में


कुशीनगर । उत्तर प्रदेश कुशीनगर में एक ऐसा व्यक्ति है जिनका प्रत्येक बच्चा 13-14 बर्ष की आयु में अज्ञात बीमारी के आगोश में समा जाता है। इस तरह अब तक उसके सात बच्चों को अज्ञात बीमारी ने अपने आगोश में ले लिया जिससे उनकी मौत हो गयी।

अब आठवा बच्चा भी इसी स्तर पर पहुच गया है। उसका दम कब निकल जाये यह कुछ कहा नही जा सकता। यह कहानी है कुशीनगर के विशुनपुरा विकास खंड क्षेत्र में पटेरा बुजुर्ग चैराहे पर एक चाय की दुकान चला रहे एक व्यक्ति की। जो बच्चों की बीमारी से अपना सब कुछ बेच कर दवा करा चूका है। अब चाय की दूकान चलाता है और अपने परिवार का पेट पालता है। उसकी हालत ऐसी कि वह व्यक्ति अब थक चूका है और कह पड़ता है कि अब कोई फायदा नही जो करेगा उपर वाला ही करेगा।

ज्ञातव्य हो की सदरसी गुप्ता व उनकी पत्नी मुन्नी देवी पटेरा बुजुर्ग चैराहे पर चाय की दुकान चलाते हैं। बतौर सदरसी पहला बेटा राकेश 13 साल का होकर साथ छोड़ गया। दो दशक के दौरान एक-एक कर सात बच्चे मौत के मुंह में समा गए। सदरसी ने बताया कि बच्चों के मुंह से पहले लार गिरना शुरू होता है, उसके बाद कलेजा बैठने लगता है, फिर मर जाते हैं।

स्थिति ऐसी है कि अब उनका आठवां बच्चा अखिलेश भी इसी स्तर पर पहुच गया है। उनकी प्रीती नाम की एक बेटी भी है, लेकिन कब उसे भी यह बीमारी हो जाए कुछ पता नहीं। पिता का कहना है कि भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान नई दिल्ली के डाक्टर भी कुछ पता नहीं लगा पाए। बच्चों का इलाज कराने में जो जमीन थी वह भी बिक गई। अब हम लोगों के रोजी रोटी का सहारा चाय की दुकान रह गई है।

बीमारी के बारे में बीआरडी मेडिकल कालेज के न्यूरो फीजिशियन पवन सिंह बताते है कि  यह रोग अनुवांसिक है। दिल की गड़बड़ी के कारण समय से पूर्व तंतु की कोशिका नष्ट होने से ही यह रोग होता है। इसका इलाज अमेरिका में ही हो सकता है।

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