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ब्राह्मणों को बटोरने में लगे बसपा के सतीश बाबू


जगह-जगह खुब कर रहे है ब्राह्मणों का गुणगान

कुशीनगर। बहुजन समाज पार्टी के तत्वावधान में प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों आयोजित हो रहे ब्राह्मण समाज कार्यकर्ता सम्मेलन के बहाने पार्टी ब्राह्मणों को मनाने में लग गयी है। 

राष्ट्रीय महासचिव सतीशचन्द्र मिश्र ने सियासत में अपना हक पाने के लिए ब्राह्मणों को बटोरना शुरू कर दिया। क्या पता ब्राह्मण इनकी जाल में फसेंगें की नही पर इतना जरूर है कि सतीश चन्द्र मिश्र अपने आप को प्रदेश के ब्राह्मणो का अगुआ मान चूके है। तभी तो वे हर सम्मेलन के बहाने ब्राह्मणों को सीखा रहे है। यही नही इस विरादरी के महापुरूषों के त्याग, संघर्ष एवं बलिदान की लम्बी परम्परा का भी जी भरकर बखान कर रहे है। 

इसी क्रम में कुशीनगर के जूनियर हाई स्कुल के मैदान में उन्होंने ब्राह्मणो सिखाना शुरू कर दिया उन्होने यह तक ब्राह्मणों पढ़ाया कि यह प्रबुद्ध विरादरी न्याय के लिए हमेशा निडर होकर संघर्ष करती रही है और इसी से इसकी अलग पहचान भी होती है। मालूम चल रहा था। इस बिरादरी को दस बात का ज्ञान ही न हो।

श्री मिश्र ने परशुराम से लेकर आचार्य चाणक्य तक का उदाहरण देते हुए यह भी कहा कि सदियों से ब्राह्मण समाज अन्याय के खिलाफ संघर्ष करने में आगे रहा है। चाणक्य ने अपने जमाने के अत्याचारी शासक का अंत करने के लिए अपनी शिखा खोल दी थी और तब तक नहीं बाधी जब तक नन्द वंश का विनाश होने के साथ ही मौर्य वंश का राज कायम नहीं हो गया। उन्होंने आजादी की लड़ाई के जमाने में इस विरादरी के लोगों द्वारा आगे बढ़कर किये गये बलिदान का भी जिक्र किया।

राजनीति की व्याख्यान शाला में श्री मिश्र ने ब्राह्मणो को तरह तरह के तमाम ज्वार भाटांे के उतार चढ़ाव से परिचित कराया यही नही अपनी विरोधी राजनीतिक पार्टी पर भी उन्होंने ब्राह्मण के उत्पीड़न का भरपूर अरोप मढ़ा। 
उन्होने कांग्रेस, भाजपा व सपा के विरोध में ब्राह्मणों को जीभर कर भड़काया। उन्होंने कहा कि कई दशकों तक सूबे से लेकर देश तक पर राज करने वाली कांग्रेस ने जिस ब्राह्मण व दलित विरादरी के बलबूते राज किया उसी के साथ राजनीति भी की। हमेशा कांग्रेस ने इन दोनों विरादरियों के लोगों को अपना वोट बैंक माना लेकिन इनके लिए कुछ भी नहींकिया । इसी का नतीजा रहा कि इस विरादरी की राजनीतिक ताकत भी दिनों दिन क्षीण होती गयी। भाजपा पर भी उन्होंने कांग्रेस की ही तरह ब्राह्मण विरादरी के साथ छल करने का आरोप लगाया और कहा कि जब इस पार्टी के लोगों ने भगवान राम तक को धोखा देने में संकोच नहीं किया तो इस पर भरोसा कैसे किया जा सकता है। उन्होंने सपा के खिलाफ भी ब्राह्मणों को खुब भड़काया।

 यहां तक उन्होने कहा कि सपा का राज होता है तो ब्राह्मण विरादरी के लोगों को सताया जाता है और दलितों की बस्तियां जलायी जाती हैं। उन्होंने संस्कृत विद्यालयों के शिक्षकों के साथ सपा के राज में अन्याय होने का भी आरोप लगाया। उन्होंने यह कहा कि शायद ब्राह्मण स्वभाव से ये परिचित नही है ब्राह्मण साहसी, स्वाभिमानी, विनम्र और उदार होता है। अगर कोई उसके इस स्वभाव को उसके कमजोरी समझने की भूल करता है तो उसे सबक सिखाना भी इस विरादरी को अच्छी तरह आता है।

उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि अगले चुनाव में सभी के सहयोग से एक बार फिर इस लोकसभा सीट पर इस विरादरी के लोग अपनी विजय पताका फहराने में सफल रहेंगे। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अकेली बसपा ही ऐसी पार्टी है जिसकी मुखिया सुश्री मायावती को जब भी अवसर मिलता है ब्राह्मण विरादरी को सत्ता में उचित भागीदारी देने के साथ ही सम्मान भी देती हैं। 

उनके इस व्याख्यान पर इस सम्मेलन में आये कुछ ब्राह्मण ये कह पड़े कि हमारी आंखे यूं ही घूघली नही हुयी हमने सबको ही देखा है कौन किसके लिए कितना किया यह तो स्पष्ट सामने है। शायद सतीश बाबू का यह मालूम नही कि कभी बसपा यह नारा दिया करती थी कि ब्राह्मण क्षत्रिय और भूमियार इनको मारो जूते चार पर हमे यह जरूर याद है।

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