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मैत्रेय के राह में किसान करेगें आत्मदाह




   मैत्रेय के विरोध में 2356 दिनों से किसानों कर रहे है आन्दोलन

 
सुधा त्रिपाठी
टाइम्स ऑफ़ कुशीनगर ब्यूरो 
कुशीनगर। भगवान बुद्ध की परिनिवार्ण स्थली कुशीनगर में स्थापित होने वाली  मैत्रेय परियोजना के सामने अवरोध उत्पन्न होने लगा है। एक तरफ जहां मैत्रेय के शिलान्यास के लिए जिला प्रशासन सक्रिय हुआ है वही इस परियोजना का विरोध कर रहे भूमि बचाओ संघर्ष समिति ने इसके प्रबल विरोध में आत्मदाह करने की चेताबनी दी।

मैत्रय के शिलान्यास के लिए मुख्यमंत्री के आगमन पर यहां के मैत्रेय प्रभावित किसान एक बार फिर उन्हें अपनी ताकत का एहसास कराने की योजना बना रहे है।भूमि बचाओ संघर्ष समिति इस परियोजना के विरोध में ग्राम सिसवा-महंथ के रामलीला मैदान पर 2356 दिन से क्रमिक अनशन जारी रखे हुए हैं। अनशन के 2355 वें दिन उन्होंने एक बैठक आहूत कर विरोध की रणनीति बनायी।

संघर्ष समिति के अध्यक्ष गोबर्धन प्रसाद गोंड सहित किसान नेताओं के मुताबिक मैत्रेय परियोजना जनविरोधी व किसान विरोधी है। इससे सम्बंधित जितनी भी कार्रवाई अब तक जिला प्रशासन द्वारा की गयी है वह किसानों को व शासन को धोखे में रखकर एक पक्षीय तरीके से विधि विरूद्ध तरीके से की गयी है।

वर्षो से आंदोलित किसानों की कोई भी बात जिला प्रशासन ने नहीं सुना। जब कि किसान भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को वापस लेने और अधिग्रहित भूमि को मुक्त कराने की आवाज उठाते चले आ रहे हैं।

किसान इस बात पर भी जोर दे रहे है कि पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने सर्घष समिति के लोगों से 2007 के विधानसभा चुनाव में कहा था कि मैं भी किसान हूँ और किसान का बेटा हूँ। यदि पुनः मेरी सरकार बनती है तो परियोजना को ही समाप्त कर दिया जायेगा। फिर ऐसा क्यो हो  रह है? कि आज उसी किसान के बेटे अखिलेश सिंह यादव के मुख्यमंत्री बनते ही इस जनविरोधी परियोजना को धरातल पर लाने की कवायद तेज हो गयी है। जब कि मुलायम सिंह ने इससे सम्बंधित सारी कार्रवाई पर रोक लगा दिया था।जिला प्रशासन बार-बार बयान जारी कर रहा है कि इस माह में मुख्यमंत्री इसका शिलान्यास करने आ रहे हैं। अगर ऐसा हुआ तो इन किसानों ने भी निर्णय लिया है । कि ये सरकार की कलई खोल कर रख देगें यही नही सरकार के इस रवैये पर उसका गांव, खेत, खलिहान से लेकर सड़क व सदन तक आंदोलन कर प्रबल विरोध करेंगे।

समिति के नेताओं का मानना है कि जिन किसानों ने स्वेच्छा से अपनी भूमि इस परियोजना को दिया है उस पर शिलान्यास करने के पूर्व शासन-प्रशासन अन्य प्रभावित किसानों की भूमि को अधिग्रहण से मुक्त करे। अन्यथा यदि किसानों की उपेक्षा कर कार्रवाई की गयी तो प्रभावित किसान सामूहिक रूप से आत्मदाह तक करने को मजबूर जायेगे।

इसके लिए रविवार से ही प्रभावित गांवों में जनजागरण अभियान चलाकर आंदोलन को और तेज करने का काम किसानों ने शुरू कर दिया है। सैकड़ों प्रभावित किसान मा. उच्च न्यायालय से स्थगन आदेश भी प्राप्त कर चुके हैं लेकिन शासन प्रशासन उच्च न्यायालय में अपना पक्ष रखने का साहस नहीं जुटा पा रहा है और समाज में भ्रम पैदा कर रहा है।

इस सम्बन्ध में मीडिया प्रभारी उदयभान यादव एडवोकेट ने बताया कि हमारी मांग नही मांगी गयी तो हमकिसान आत्म दाह करेगें। जिसकी सारी जिम्मेदारी सरकार की होगी।






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