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रिग्जयान सैम्फिल को याद करेगा मैत्रेय का इतिहास


टाइम्स ऑफ़ कुशीनगर ब्यूरो 
कुशीनगर । भगवान बुद्ध को समर्पित मैत्रेय को घरातल पर उतरने में रिग्जयान सैम्फिल ने महत्व पूर्ण भूमिका निभायी है। बौद्ध धर्म व मैत्रेय का इतिहास इसका साक्षी बन गया है। 

इस बात का खुलाशा शुक्रवार को स्वयं सूवें के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने किया। उन्होने कहा कि मैत्रेय को धरातल पर लाने में कुशीनगर के जिलाधिकारी रिग्जयान सैम्फिल की महत्व पूर्ण भूमिका है। बाद में मुझे पता चला कि रिग्जयान भी इसी धर्म से सम्बन्धित है। मुख्य मंत्री के इस कथन पर जिलाधिकारी ने मुस्कुराकर उनके बातों का समर्थन भी किया।

ज्ञातव्य हो कि मैत्रेय को धरा पर उतरते-उतरते तेरह बर्ष लग गये। जिसको लेकर बौद्ध भिक्षुओं का निराशा छा गयी थी। अब मैत्रेय के ट्रस्टी भी इससे मुह मोड़ चूके थे। राजनाथ सिंह की सरकार ने अपने कार्यकाल में इस परियोजना में रुचि दिखाई थी लेकिन किसानों के विरोध को भांपकर उन्होने अपना कदम पीछे हटा लिया।
फिर जब 2002 में मुलायम सिंह यादव ने प्रदेश की कमान संभाली, तब उन्होंने परियोजना को साकार करना चाहा। सर्वे आदि की औपचारिकता पूरी कर वर्ष 2006 में उन्होंने लगभग 660 एकड़ भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना जारी करते हुए मुआवजे के लिए 100 करोड़ रुपये का प्रावधान किया।

उस दौरान परियोजना की कुल लागत 1500 करोड़ आंकी गई थी। परियोजना सामने आते ही प्रदेश में मायावती सत्ता में आ गईं। मायावती ने भी परियोजना में रुचि दिखाई। पर किसानों के विरोध के चलते 2010 में इसका आकार छोटा कर दिया गया। पूरी परियोजना को 250 एकड़ जमीन में बनाने का निर्णय लिया गया।
इसके बावजूद भी किसानों का विरोध जारी रहा। इससे सरकार परियोजना पर साहस नहीं कर पाई। प्रदेश में फिर सपा की सरकार बनी और उसके साथ ही कुशीनगर में जिलाधिकारियों के स्थानान्तरण के बाद रिग्जयान सैम्फिल ने पद भार ग्रहण किया। धीरे-धीरे जिलाधिकारी को मैत्रेय की सारी जानकारी मिल गयी और फिर उन्होने मैत्रेय पर काम करना शुरू कर दिया। सब कुछ अपने स्तर से करते रहे चाहे वों किसानों से मिलना हो या उनकें दर्द पर मरहम लगाना, उनकी आदत बन गयी। यहां तक जिलाधिकारी मैत्रेय का विरोध कर रहे किसानों के नेता गोवर्धन से मिलने जेल भी गये। जिसकी बीते दिनों काफी चर्चा रही।
 
उसके जिलाधिकारी के हस्तक्षेत्र के बाद शासन भी पूरी तरह इसके पक्ष में मन बना लिया। बौद्ध धर्म से जुड़े होने के कारण जिलाधिकारी कुशीनगर ने इसमें काफी रूचि लेना शुरू कर दिया था।  स्थितियां ऐसी होती गयी कि बौद्ध भिक्षुओं की यह परियोजना अब धीरे-धीरे प्रशासनिक दवाव पर सबके समझ आने लगी और विरोध भी कम होने लगा। जिसके फल स्वरूप 13 दिसम्बर का वह दिन आ गया जिसके लिए बौद्ध धर्म के तमाम अनुयायियों की  आखें प्यासी थी। दरसल अफगानिस्तान के बमियान में तालिबान आतंकवादियों ने जब बुद्ध की विशाल प्रतिमा नष्ट कर दिया था तब मैत्रेय ट्रस्ट ने कुशीनगर में बुद्ध की 500 फीट ऊंची प्रतिमा लगाने का ऐलान किया था।
मुख्य सचिव जावेद उस्मानी ने मैत्रय के बारे में स्पष्ट रूप से बता दिया कि इस परियोजना के लिए मात्र 400 करोड़ रूपये खर्च होगें। जिसमें 200 फीट की मैत्रेय बुद्ध की प्रतिमा बनेगी। जिसके लिए प्रदेश सरकार ने मैत्रेय को 202 एकड़ निःशुल्क भूमि दिया है ।

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