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मैत्रेय परियोजना के भूमि पर किसानों ने की खेती, असमंजस में पड़े किसान



टाइम्स ऑफ़ कुशीनगर ब्यूरो 
कुशीनगर । भगवान बुद्ध की परिनिवार्ण स्थली कुशीनगर में स्थापित होने वाली मैत्रेय परियोजना के लिए अपनी भूमि देने के बावजूद अभी भी किसानों को उनके भूमि से उनका मोह नहीं भंग हो रहा है। यह उनको ज्ञात है कि वे अब इस जमीन के मालिक नहीं रहे। फिर भी इस पर अपना कब्जा जमाये रखें है। 

ज्ञातव्य हो कि भगवान बुद्ध को समर्पित मैत्रेय परियोजना के शिलान्यास का एक पखवारा भी अभी नहीं बीता और किसान अपनी भूमि को चिन्हित कर उसमें जुताई व बुवाई करना शुरू कर दियें।

मैत्रेय परियोजना के शिलान्यास पर लाखों रूपये खर्च कर जिला प्रशासन ने किसानों को यह विश्वास दिलाने का प्रयास किया कि उनका विकास का सपना शीघ्र पूरा होगा और यहां निर्माण काम प्रारम्भ होगा लेकिन विपरीत इसके उसके तीसरे दिन से ही यहां के हेलीपैड के ईटे बेच दिये गये, दो इण्डिया मार्का हैण्डपम्प चोरी हो गया, सभा मंच के ईटे उखड़ने शुरू हो गये और इतना ही नहीं तो अब किसानों ने वहां ट्रैक्टर से अपनी भूमि को चिन्हित कर जुताई व बुवाई भी शुरू कर दिया है।

इधर जिला प्रशासन एक तरफ समाचार पत्रों के माध्यम से संदेश दे रहा है कि जनवरी 2014 में यहां काम शुरू हो जायेगा लेकिन इस भूमि की सुरक्षा के प्रति प्रशासन द्वारा कोई व्यवस्था नही की गयी तभी तो यहां की लगभग 3 ट्राली ईटों को ग्रामीण उठा ले गये और अब कई एकड़ भूमि को किसानों ने जोतकर गेहूँ बो दिया है।

इस मैदान में जुताई कर रहे एक किसान ने पुछने पर पूछने पर बताया कि अभी बनने में देर है तब तक हो सकता है कि हमारी गेहूँ की फसल पककर तैयार हो जाये। यही नही कई दिनों से वहां खेतों की जुताई जोरो पर है। 

क्योंकि उन्हें इसकी नसीहत हवाई अड्डे के अधिग्रहित भूमि के किसानों से मिलनी शुरू हो गयी है जहां पर बीते कई वर्षो से किसान अपनी भूमि में फसल बो और काट रहे हैं। 

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