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दुदही विकास खण्ड में मुसहर जाति का दर्द


                 डोका के सहारे चल रही मुसहर जाति की जीविका

                                                    मिथिलेश गुप्ता
दुदही, कुशीनगर। जनपद के विकास खण्ड दुदही के अन्तर्गत सभी 58 ग्राम पंचायतों में दर्जनों मुसहर बस्तिया  हैं। जहां शासन के निर्देश पर जनपद और तहसील स्तर से उनके जीवन स्तर को सुधारने का प्रयास किया जा रहा है। इसके बावजूद भी ग्राम सभा गुरवलिया के मुसहरों की जीविका आज भी घोघी खाकर व उनको बेचकर चल रही है।

 पेट की आग बुझाने में जुटे अनुसूचित जाति के मुसहर समुदाय के पुरुष ही नही महिलायें और मासूम उम्र के बच्चे डोका पकड़ते देखे जा सकते हैं। ग्राम सभा गुरवलिया के इन भूमिहीन मुसहरों को अपनी जीविका के लिए उन्हे पानी में डुबना पड़ता है। सड़े और जमंे पानी में अन्य विषैले जल जन्तुओं का सामना करना पड़ता है। इतने के बाद वे डोका निकालने में सफल होते हैं। फिर उसे फोड़ते और उसका गुदी निकालकर 10 से 50रुपया किलो बेचते हैं। और अपनी जीविका चलाते हैं और जो बच जाता वे खुद खाते हैं।

ग्राम सभा गुरवलिया से सेवरही तुर्कपट्टी मुख्य सड़क के किनारे अपनी जीविका के लिए डोका पकड़ रहे मुसहर समुदाय के कमली पत्नी इसरी, मु0 सुकवरिया, शान्ति पत्नी राजेन्द्र, ममता पुत्री शारदा, दुलारी पत्नी दुखी, राजकुमार पुत्र महेन्द्र, सुमिरन पुत्र फौजदार, अकलु पुत्र राजबली ने बताया कि  वे भूमिहीन हैं। तथा उनका परिवार बड़ा होने के कारण कोटे का राशन प्राप्त नही होता है। परिवार की जीविका चलाने के लिए जोखिम भरा काम करना पड़ता है। 


इस समुदाय के लोगों ने कहा कि कितने मर्तबा पत्रकार लोगों के द्वारा समाचार प्रकाशित किया गया परन्तु राशन कार्ड, आवास भी प्र्याप्त मात्रा में नही मिल सके। यहां मुसहरों की सबसे बड़ी पीड़ा तो यह दिखाई दी कि विकास के दौर में भी वे आजादी की 65वर्षो के बाद भी मुसहर समुदाय उसी पैदान पर खड़े हैं। जहां वे 6दशक पहले रहे प्रशासन उन्हे सुविधायों से लैस का भले ही दम्भ भरता हो लेकिन आज भी उनकी स्थिति नही बदली। उनका रहन-सहन-पहनावा व उनके बैठने-बोलने के तौर-तरीकों में कोई सुधार नही हो सका जिसका उदाहरण विकास खण्ड दुदही के विजयपुर, धोकरहा, दुदही, सोरहवा, लोहरपट्टी, अमहीं, मिश्रौली, मठिया माफी, वांसगांव, रामपुर बरहन, गौरी श्रीराम, रामपुर पट्टी, मठिया भोकरिया के करीब दर्जनों मुसहर टोलियों के बहुधा एक जैसें समस्या देखने को मिल रही रही है। इन जातियों की वर्तमान समस्यायें जो सामने आई हैं उनमें प्रमुख रुप से सांस्कृतिक सम्पर्क की समस्या, आर्थिक समस्या, स्वास्थ्य व शिक्षा सम्बन्धी समस्यायें है। इस समुदाय के लोगेा में चेतना के अभाव होने से ये दबते चले गये। इनके उत्थान की तमाम योजनायें चेतना के अभाव उद्देश्य पूर्ण प्रभाव नही दिखा पायी। सरकार इनके स्तर को ऊँचा उठाने के लिए तमाम योजनाओं को परोसी सामाजिक संस्थाओं ने भी विकसित करने के क्षेत्र में प्रयास किया, परन्तु उनकी स्थिति ज्यांे की त्यों ही रही इसके लिए जिम्मेदार कौन है?

समाज के इस नीचले तबके को मुख्य धारा में लाना है तो कुछ स्थाई तथा लम्बे समय तक करने की जरुरत है। अन्यथा सौ वर्ष बाद भी इनकी स्थिति ज्येां की त्यों रहेगी। इस सम्बन्ध में उपजिलाधिकारी पंकज कुमार वर्मा का कहना है कि मुसहर जाति के लोगों में जो भूमिहीन हैं उन्हे सरकारी भूमि का पट्टा दिलाने की राजस्व कर्मियों को आदेशित किया गया है।

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