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‘‘बहु, बेटियाँ बचाओ’’ क्यों पड़ा - अशोक सिंघल



नई दिल्ली मुजफ्फरनगर के कवाल गाँव में दिनांक 27 अगस्त, 2013 को किसान इण्टर कालेज से आती हुई हिन्दू छात्रा के साथ लव जेहादियों का अपमानजनक व्यवहार ही मुजफ्फरनगर घटनाक्रम का मूल कारण है। इस घटना ने ही ‘‘बहु, बेटी बचाओ’’ महापंचायत को जन्म दिया। लव जेहादियों के गाँव-गाँव शीलहरण की घटनाएँ जब बर्दास्त के बाहर हो गईं तो उनके विरुद्ध समाज का रौद्र रूप ‘‘बहु, बेटियाँ बचाओ’’ आन्दोलन के रूप में खड़ा हुआ है।

उक्त बाते अशोक सिंघल ने जारी प्रेस बिज्ञप्ति के माद्यम से कही उन्होंने खा की हमारे देश के समाचार पत्र एवं न्यूज एजेन्सियाँ तथा अनेक दूरसंचार चैनल इस सत्य को उद्घाटित करने से अपने को बचा रहे हैं। इस आन्दोलन का नाम ‘‘बहु, बेटियाँ बचाओ’’ क्यों पड़ा ? मुलायम सिंह की घोर मुस्लिम परस्त इस सरकार में लव जेहादी अपने को कानून से ऊपर समझने लगे हैं और अपनी हरकतों से पूरे हिन्दू समाज को अपनी रक्षा के लिए स्वयं के बल पर खड़े होने को मजबूर किया है। लव जेहाद ने न केवल हिन्दुओं अपितु बौद्धों और ईसाइयों को भी आज अपना भक्ष्य बना रखा है। इस शर्मनाक कामान्ध जेहादियों ने मुस्लिम धर्म की रक्षा और विस्तार के नाम पर इसे एक बड़े शस्त्र के रूप में देशभर में हिन्दू समाज की कन्याओं, अबलाओं, छात्राओं को पिछले अनेक वर्षों से अपना भक्ष बनाया हुआ है। पिछले संसदीय चुनाव में श्री वरुण गाँधी के समक्ष माताओं ने कन्याओं के शीलहरण की इसी समस्या को रखा था और वे इन जेहादियों से अपनी रक्षा का उत्तर चाहती थीं। 


उपरोक्त परिप्रेक्ष में ही इस समस्या का हल ढूँढ़ना पड़ेगा। दिनांक 27 अगस्त, 2013 को छात्रा के दो भाई गौरव और सचिन की हत्या हुई और हत्या करने के उपरान्त 30 अगस्त, 2013 को उन जेहादियों के समर्थन में शुक्रवार की नमाज के बाद एक बहुत बड़ी सभा 144 धारा होने के बावजूद प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा मुजफ्फरनगर में होने दी गई और कवाल की पूरी घटना के लिए मृतकों के परिवार को ही दोषी बताया गया। इस घटना ने आग में घी का काम किया। 31 अगस्त और 7 सितम्बर, 2013 को ‘‘बहु, बेटियाँ बचाओ’’ महापंचायत करने के लिए बाध्य कर दिया। जेहादियों को राजकीय संरक्षण देने का क्या परिणाम होता है कि इस घटना की आग पूरे जिले में फैल गई और यह नर-संहार गाँव-गाँव में फैल गया। जहाँ अनेक वर्षों से गाँव-गाँव में हिन्दू और मुसलमानों में बड़े मधुर सम्बन्ध चले आ रहे थे, उनको इन कामान्ध लव जेहादियों ने एक दूसरे का शत्रु बना दिया।



इस समस्त काण्ड से एक शिक्षा लेने की आवश्यकता है कि लव जेहादियों पर कानूनी रोक लगाई जाए और कानून का सख्ती से पालन किया जाए। इस घटना में शामिल हत्यारे लव जेहादियों को कठोर दण्ड दिया जाए अन्यथा स्वाभिमानी हिन्दू को इच्छा न होते हुए भी अपनी रक्षा अपने बल पर करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा, जो शर्मनाक है और कानून से बनी इस सरकार द्वारा संभव नहीं हो पा रही है।



परिस्थितियाँ ऐसी आ गई हैं कि मुख्यमंत्री अखिलेश सिंह की सरकार के प्रति लोगों का विश्वास उठ चुका है। वह यह भी सोचने के लिए बाध्य हो गया है कि एक ओर लव जेहादियों को प्रोत्साहन और दूसरी ओर हिन्दू समाज के शान्तिपूर्ण 84 कोसी धार्मिक परिक्रमा को दमन के द्वारा रोकने के प्रयासों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि ऐसी सरकार को तत्काल बर्खास्त करने से ही हिन्दू समाज न्याय की अपेक्षा कर सकता है।

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