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इंसेफेलाइटिस से निजात दिलाये सरकार


कुशीनगर । पूर्वाचल में इंसेफेलाइटिस की रोकथाम के लिए प्रदेश सरकार चाहे जितना दावा कर ले पर हकीकत यही है कि यह महामारी है और इससे निपटने के लिए कुछ बेहतर करना होगा जिससें मासूमों के मौतों का सिलसिला रूक जाये।

कुशीनगर की स्थिति ऐसी है कि हर इलाका इस महामारी से कराह रहा है चाहे पडरौना हो या तमकुही या फिर कसया हो या हाटा तहसील क्षेत्र चारो और इन्सेफलाईटिस ने मासूमों को मारने का जाल विछा रखा है। मौते दिन प्रति दिन बढ़ती जारही है और प्रशासन कुछ नही कर पा रहा है। 

अभी तमकुही विकास खंड के ग्रामसभा सोंदिया बुजुर्ग के महफूज का पांच वर्षीय पुत्र आलम व नरेंद्र पांडेय की 13 वर्षीया पुत्री स्वीटी की करीब एक वर्ष पूर्व, ग्राम सभा महुअवा बुजुर्ग के गोंड़ टोला के गुड्डू की सात वर्षीय पुत्री गुडि़या का दो महीने पहले तथा विकास खंड फाजिलनगर के ग्रामसभा सपहा के टोला बतरौली के पप्पू के दस वर्षीय पुत्र का 16 अगस्त 2013 को गोरखपुर मेडिकल कालेज में इलाज के दौरान इंसेफेलाइटिस से जुझते हुए इनकी मौत हो गई। उसके बाद भी मौतों का सिलसिला नही रूका।

ग्रामसभा सोंदिया बुजुर्ग निवासी इंद्रजीत शर्मा का 13 वर्षीय पुत्र एक सप्ताह से इंसेफेलाइटिस के कारण गोरखपुर मेडिकल कालेज में जिंदगी व मौत से जूझ रहा है। क्षेत्र के प्रधान शंकर प्रसाद, नयन सिंह, जितेंद्र सिंह, मस्तराज प्रसाद, पूर्व प्रधान अरविंद़, प्रधानाचार्य प्रभाकर, व्यापार मंडल अध्यक्ष मनोज, अनिल सिंह, मुन्ना सिंह, छोटे तिवारी, राजेश तिवारी प्रदुम्मन पाण्डेय, चितरंजनदास राव,राजन यादव, किसुनदेव राजभर, नित्यानंद पांडेय, प्रधान प्रतिनिधि नीरज, भोला सिंह, कमलेश सिंह, सुरेश यादव, रविन्द्र यादव, पुष्पेन्द्र सहित सैकड़ों क्या हजारों लोग इस महामारी को पूर्वांचल से भगाना चाहते है पर अभी तक प्रशासन कुछ नही कर सका। इनकी प्रशासन से मांग है कि किसी तरह किसी कीमत पर इसका निदान निकाले ताकि पूर्वांचल का कुशीनगर सुरक्षित हो जाये।

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