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नारायणी की दस्तक को नजर अन्दाज करता रहा विभाग

  सुरक्षित ठिकानों की तलाश में ग्रामीणें का पलायन

मिथिलेश गुप्ता

दुदही(कुशीनगर)। बुढी गण्डक के नाम से तुफानी नदी की संज्ञंा धारण करने वाली नारायणी को सिंचाई विभाग भले ही दोषी माने लेकिन नदी की दस्तक को जान-बुझ कर नजर अन्दाज भी करता रहा है। 280मी0 लम्बे एस वन स्पर को बचाने के लिए लाखो बहा दिये गये लाखो डकार लिये गये।

 फिर भी एस वन स्पर को विभाग बचाने में कामयाब नही रहा। अपनी कमी छिपाने के लिए नदी को दोषी बताने वालों के सामने ही 200मी0 एस वन स्पर कट गया। और ये खतरा नही है का राग अलापते रहे। गुरुवार को ही देर शाम अचानक डेढ लाख क्यूसेक पानी बढने से अमवा खास तटबन्ध के लिए तो खतरा उत्पन्न हो ही गया है बरवापट्टी रिंग बांध नदी के निशाने पर आ गया है।
 कयास लगाये जा रहे हैं कि देर रात नदी रिग बांध को अपने आगोश में ले लेगी। ग्रामीण सुरक्षित ठिकानों की तलाश में पलायन कर रहे हैं और कैंप कर रहे हैं। सिंचाई विभाग के जिम्मेदार डाक बंगले में ऐश कर रहे हैं। जिलाधिकारी आर सैम्फिल ने अपने बाढ दौरे पर सख्त लहजे में कहा था कि तटबन्ध को खतरा हुआ तो जिम्मेदार नपेंगंे परन्तु इस हिदायत का भी विभागीय लोगों पर कोई असर नही है।

 यद्यपि नारायणी ने अप्रैल-मई-जून तक का समय दिया था परन्तु सिंचाई विभाग बाढ खण्ड कुशीनगर के जिम्मेदार हाथ पर हाथ रख कर बैठे रहे। 15जून के बाद जब नदी अपने तूफान का दस्तक दी तभी ये जिम्मेदार आराम की नींद सोते रहे। शायद प्रतीक्षा करते रहे कि उचित समय पर ही मोटी रकम नदी के बहाने जेब के हवाले किया जायेगा। हुआ भी यही शुक्रवार की देर शाम तक बरवापट्टी में अफरा-तफरी का माहौल बना था। ग्राम प्रधान प्रतिनिधि प्रदीप तिवारी के नेतृत्व में सैकडों ग्रामीणों ने मिट्टी भरे। बैग को नदी में डालने से इसलिए रोक दिया कि बैगों में मात्रा के अनुसार मिट्टी नही भरी गयी है। विभाग हवा में तीर चला रहा है। दुसरी तरफ ग्रामीण अपनी गाढी कमाई की फसलों व आशियाना की तबाही को लेकर परेशान हैं। 

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