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कुशीनगर में पीने के पानी के लिए कराह रही जनता





कुशीनगर। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में पीने के पानी के लिए जनता कराहने लगी है। यह पूरा इलाका भौगोलिक दृष्टि से भूमिगत जल भंडार के खतरे से जुझ रहा है। जहां कभी दो हाथ मारते ही पानी की मोटी धार निकल पड़ती थी अब वही मुश्किल से पानी निकल रहा।

एक तरफ गिरते जल स्तर के प्रमुख कारणों में इंडिया मार्क हैंडपंप सामने आया है और इन हैंडपंपों के इर्द-गिर्द जलस्तर गिरना शुरू हो गया है और पानी के लिए लोगों को अब पहले से ज्यादा गहरी खुदाई करनी पड़ रही। 

ज्ञातव्य हो कि 956 ग्राम पंचायतों वाले कुशीनगर जनपद में 43174 इंडिया मार्क-2 हैंडपंप स्थापित हैं। जो ग्रामीण क्षेत्रों के अलावा नगरीय क्षेत्र में भी स्वच्छ जल के मुख्य स्रोत हैं। जिले के चैदहों विकास खण्ड में नजर डाले तो यहां के गांवों में पानी का मुख्य स्त्रोत इण्डिया मार्क-2 हैंडपंप है। 

अभी भी गांवों में करीब 16140 नल है। हालाकि इस नल का पानी दुषित हो गया है और पानी पीने योग्य नही रहा । जिसंे जिला प्रशासन ने उन्हे प्रतिबन्धित कर दिया किन्तु उन नलों की जगह पर इण्डिया मार्का हैन्डपंप उपलब्ध नही कराया जा सका। उन नलों में  ज्यादातर बेकार हो गए हैं। जिसकी वजह लोग तेजी से गिरता जलस्तर मान रहे।

गिरते जल स्तर और पीने के पानी की संकट पर  गांव में निवास करने बाले एक शिक्षक दिनेश त्रिपाठी बताते है कि आज पानी का विकट सकट है पीने योग्य पानी केबल पिल्टर से ही मिल पा रहा है। इसका कारण एक तरफ गिरता जल स्तर व दुषित पानी है।

जनपद मुख्यालय से 7 किलों मीटर की दूरी पर बसे अहिरौली, मटिहनिया बुर्जग गांव में भी गिरते जलस्तर की समस्या से लोग जूझने को विवश है। उक्त गांव निवासी शाथ्नत नाम की एक बुजूर्ग महिला बताती है। कि कभी एक समय था दो हाथ मारते ही पानी की मोटी धार बाल्टी में गिरने लगता था पर अब नही गिर रहा है। 

इस सम्बन्ध में भूमि संरक्षण अधिकारी इन्द्रदेव यादव ने बताया कि जलस्तर में गिरावट दर्ज की गई है। जलस्तर में गिरावट का प्रमुख कारण कम हो रही बरसात है। उन्होंने बताया कि हाटा व फाजिलनगर क्षेत्र को छोड़ अन्य स्थानों पर तकरीबन 45-55 फिट पर पानी सुलभ है। 

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