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थोड़ी सी चूक में कांग्रेस की जा सकती है कुशीनगर सीट

    गृहराज्य मंत्री कुवंर आर पी एन सिंह का सम्मान खतरे में

टाईम्स आफ कुशीनगर ब्यूरो
कुशीनगर । 65 वें लोकसभा सीट से वर्तमान सांसद व केन्द्र सरकार में गृह राज्य मंत्री कुवंर आर पी एन सिंह को अपनी सीट बचाने के लिए कई पापड़ बेलने पड़ सकते है। अन्यथा कांग्रेस के हाथ से सीट जानी भी तय है।
ज्ञातव्य हो कि कांग्रेस के लिए यह महत्वपूर्ण सीटों में एक है इसके जीत के लिए पूर्व से ही जतन किये गये गये है। कि जीत के सामने कोई रोड़ न आये और लगभग वही हुआ भी है।कुछ एक में इसके विपरीत परिणाम सामने आये है पर और सब ठीक है। इसके वाजूद थोड़ा भी प्यादे इधर उघर हुए तो मतदाताओं का रूझान कांग्रेस को ले डूबेगा। 

एक नजर कुशीनगर पर डाला जाय तो पूर्वाचल के अंतिम छोर पर बिहार से सटे इस जिले की कुल आबादी 3564.54 हजार है। इसमें 1000 पुरूषों पर 955 महिलाओं का अनुपात है। यहां 54.84 प्रतिशत लोग साक्षर है। अब तक लोकसभा चुनाव में कुल मतदाता 23 लाख 33 हजार छह सौ चैंसठ हैं। इसमें 12 लाख 97 हजार 79 पुरूष तथा 10 लाख 36 हजार दो सौ अड़तीस महिला मतदाता हैं। लोकसभा क्षेत्र में कुशीनगर, पडरौना, खड्डा, हाटा व रामकोला विधान सभाएं शामिल हैं।

इसके साथ पडरौना राजघराने के स्व. सीपीएन सिंह और पूर्वाचल के कद्दावार नेता स्व. राजमंगल पाण्डेय की राजनीतिक विरासत की जंग भी देखने को मिलने वाली है।क्योंकि कांग्रेस से पडरौना राजघराने के स्व. सीपीएन सिंह के पुत्र आर पी एन सिंह और पूर्वाचल के कद्दावार नेता स्व. राजमंगल पाण्डेय के पुत्र राजेश पाण्डेय भाजपा से मैदान में है।
बसपा आजादी के बाद अपनी पहली जीत के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ने वाली है। सपा भी अपने जीत के पुराने इतिहास को दोहराने की पूरी ताकत लगाएगी। चुनाव मैदान में ताल ठोक रहे अन्य राजनीतिक दलों के उम्मीदवार भी अपनी जीत को लेकर योजना बना लिए हैं। सियासत के इस शतरज में पार्टियों के निर्देश पर उम्मीदवार अपने सारे प्यादों की चाल खोल कर अन्य पार्टियों को घेरने में लगे है। सभी का योजना अभी तक कांग्रेस को पछाड़ने की है। स्थानीय स्तरों पर कुछ ऐसे मुद्दे है जिन पर कुवंर आर पी एन सिंह कई धुरन्र्दो से आगे है। जिसका लाभ इस चुनाव में भी इनको मिल सकता है। प्रत्याशियों ने पूर्व के चुनावों में चली गयी चालें का काट आज भी नही ढूढ़ पाया है।

हालांकि जातिगत मामले को लेकर इन्हें काफी नुकसान होने वाला है। क्योंकि एक तरफ सपा से राध्येश्याम सिंह है तो वही आम आदमी पार्टी से अखण्ड प्रताप सिंह इनके जातिगत समीकरण को विगाड़ सकते है। वही इन्हे भाजपा व बसपा से ब्राम्हण प्रत्याशी होने के कारण इन्हें कुछ लाभ हो सकता है। अगर ब्राम्हण भाजपा को पूर्ण रूप से मतदान नही किया तो भी कांग्रेस के सामने संकट के बादल उमड़ सकते है।

क्योकि कांग्रेस को बोट करने वाले ब्रम्हणों का प्रतिशत बहुत कम है। इधर बसपा अपने जातिगत मतों के साथ ब्राम्हण प्रत्याशी उतार कर ब्रम्हणों को अपने पक्ष में करने के लिए काफी दिनों से जतन कर रही है। यही नही बसपा ने अपने सारे पैतार चला दिये है। अगड़ी जातियों को आप और बसपा तोड़ रही है वही पिछड़ी जातियों को सपा लगायत अन्य पाटियां सहेजने में लगी है। ऐसे थोड़ी चूक भी गृह राज्य मंत्री के रूतबें को मिट्टी पलित कर सकती है।



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