Breaking News

महामारी के रूप में फैली इंसेफेलाइटिस नही बनी मुद्दा


टाईम्स आफ कुशीनगर ब्यूरो
कुशीनगर। उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में महामारी के रूप में फैली इंसेफेलाइटिस की चपेट में आने के बाद तड़प-तड़पकर सैकड़ों मासूम हर साल मर जाते हैं। इससे बचने बाले फिर तिल-तिल कर मरते हैं, उनकी जिंदगी नारक से भी खराब रहती है। कुशीनगर इस बीमारी के लिहाज से बेहद संवेदनशील है। बावजूद इसके यह जानलेवा बीमारी कभी भी जनप्रतिनिधियों का मुद्दा नहीं बनी।
स्थिति ऐसी है कि इंसेफेलाइटिस रोगियों के लिए आईसीयू पूरी तरह मुकम्मल न होे पाने की वजह से बच्चों को मेडिकल कालेज रेफर कर दिया जा रहा है। मासूमों को इस घातक बीमारी से बचाने के लिए दो साल पहले 24286000 रुपये की लागत से इंसेफेलाइटिस के आईसीयू वार्ड की मंजूरी मिली थी। 
पीडब्ल्यूडी को कार्यदायी संस्था नामित किया गया। लेकिन दो साल में प्रगति सिर्फ इतनी रही कि इसमें 24.12 लाख रुपये की लागत से जिला अस्पताल में आईसीयू भवन बन गया है और वेंटीलेटर, फाउलर बेड और कुछ अन्य उपकरण लगा दिए गए हैं। परंतु अब भी इसमें एसी, मेगा सिलेंडर, अलग से जेनरेटर लगाने के अलावा अतिरिक्त मैन पावर नियुक्त करने की आवश्यकता है। 
इसमें बाल रोग विशेषज्ञ, स्टाफ नर्स, फार्मासिस्ट, वार्ड ब्वाय और स्वीपर की नियुक्ति होनी है। लेकिन इस कार्य में तेजी नहीं आ रही है। बच्चों के विशेषज्ञ डॉक्टर भी इस जिले में नहीं हैं। इलाज की मुकम्मल व्यवस्था न होने के कारण इस मर्ज के रोगियों को सीएचसी एवं पीएचसी से जिला अस्पताल और फिर वहां से मेडिकल कालेज रेफर कर दिया जाता है, जिससे बहुत से मरीज तो रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं या उनकी हालत और भी खराब हो जाती है। लेकिन चुनाव से पूर्व बड़े-बड़े दावे और वादे करने वाले जनप्रतिनिधि जीतने के बाद इस गंभीर मुद्दे को हर बार भूल जाते हैं।

कोई टिप्पणी नहीं

टिप्पणी करने के लिए आप को धन्यबाद!

.................................TIMES OF KUSHINAGAR