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पक्के मकान का सपना देखने वाली झोपडि़यों को अभी करना पड़ेगा इन्तजार

बर्ष 2013-14 में कुशीनगर का कोई व्यक्ति पात्र नही
 
टाईम्स आफ कुशीनगर ब्यूरो
कुशीनगर। पक्के मकान का सपना देखने वाली झोपडि़यों को अपने गृह स्वामी के गरीब होने तक इन्तजार करना पड़ सकता है। क्योकि उनके गृह स्वामी अब गरीब नही रहे। प्रशासन उन्हे अमीर मामने लगा है। तो फिर सरकार द्वारा पक्के मकान मिलने का कोई प्रश्न ही नही उठता है।
 
ज्ञातव्य हो कि वर्ष 2001 की जनगणना में कुशीनगर की कुल आबादी तकरीबन 28 लाख रही। वर्ष 2011 की जनगणना में बढ़कर यह संख्या 35,60,830 हो गई। वही वर्ष 2002 में बीपीएल निर्धारण के लिए सर्वे के आधार पर पडरौना, नेबुआ नौरगिया, खड्डा, रामकोला, कप्तानगंज, सुकरौली, मोतीचक, हाटा, कसया, तमकुहीराज, सेवरही, फाजिलनगर, विशुनपुरा व दुदही ब्लाकों से 2,82,522 आवास के लिए सूचीबद्ध किए गए। बाद में जांच में 95959 गरीबों को अपात्र घोषित कर दिया गया।

वर्ष 2012-13 यूपी में सर्वाधिक 34800 आवास कुशीनगर को मिले थे। लेकिन बाद में शासन के निर्देश पर प्रशासन ने 22808 आवास आजमगढ़ वापस स्थानान्तरित कर दिया। अभी पिछले वित्तीय वर्ष में अप्रैल से अब तक 1355 लाभार्थियों में आवास आवंटित किया गया। जबकि 3328 को आवास दिया जाना था। वित्तीय वर्ष 2013-14 में पात्र न होने के कारण एक भी आवास नहीं मिला। अधिकारी व जनप्रतिनिधियो की मद्द से गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों के संख्या ही समाप्त हो गयी है। इसके पर्व भी गरीबों के आवास के लिए तमाम शिकायते के निस्तारण में विशुनपूरा विकास खण्ड के 10 ग्राम विकास अधिकारियों पर कार्यवाही की गयी थी। जिन्हे पुनः बहाल कर लिया गया। अभी कई ऐसे मामले है जिनमें कार्यवाही प्रस्तावित है।
 
इस सम्बन्ध में परियोजना निदेशक चंद्रशेखर मिश्र ने बताया कि शिकायतों की जांच हो रही है, इसमें दोषी पाए जाने वाले के खिलाफ कार्रवाई चल रही है। वर्ष 2002 में बने बीपीएल सूची के आधार पर ही जिले में आवास का आवंटन होना था। अब कोई पात्र वंचित नहीं है।

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