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शोध खुलाशे में कुशीनगर की धरती सर्वाधिक उपजाऊ


कुशीनगर । कुशीनगर की धरती सेव व अंगूर को छोड़कर सभी फसलों को उगाने के लिए सर्वाधिक उपजाऊ है। इस बात का खुलाशा हाल ही में एक शोध में किया गया।

कुशीनगर की मिटटी पर अपना शोध कर गन्ना की फसल के लिए बीज तैयार करने वाले गन्ना अनुसंधान केन्द्र बभनौली, सेवरही के वैज्ञानिको ने इस बात का खुलाशा किया। उन्होने बताया कि सबसे उपजाऊ जानी जाने वाली भाट मिटटी कुशीनगर के सर्वाधिक हिस्सों में है।

तराई का इलाका होने की वजह से यह मिट्टी जिले के कुल क्षेत्रफल के 80 प्रतिशत हिस्से में पाई जाती है। शेष 20 प्रतिशत में अन्य प्रकार की मिट्टियां हैं। वैसे तो कुशीनगर जनपद में बलुई दोमट, मटियार दोमट मिट्टियां भी पाई जाती हैं लेकिन इनमें सर्वाधिक क्षेत्रफल भाठ जमीन का है। मिट्टी के अंदर पाए जाने वाले भौतिक गुणों में मिट्टी की संरचना, चिपकने का गुण और जलधारण की क्षमता प्रचुर मात्रा में पाई जाती है। इस मिट्टी में सत्रह पोषक तत्व पाए जाते हैं। इस मिट्टी की एक और खूबी है कि पोटाश की मात्रा इसमें सबसे अधिक होती है। तभी तो धान की संभा मंसूरी, नाटी मंसूरी, राजश्री, सरजू-52, पूसा-44 प्रजातियों के अलावा यहां गन्ना, केला, दलहन आदि की पैदावार अच्छी होती है।

जानकारी के अनुसार यह मिट्टी पडरौना, दुदही, विशुनपुरा, नेबुआ नौरंगिया, खड्डा, रामकोला विकास खण्ड क्षेत्र में बहुतायत में पाई जाती है। कप्तानगंज क्षेत्र का कुछ क्षेत्रफल भी भाठ मिट्टी से युक्त है। इस सम्बन्ध में जेपीएम त्रिपाठी, कृषि विशेषज्ञ, कृषि विभाग, कुशीनगर बताते है कि भाठ मिट्टी की उत्पादन क्षमता अधिक होती है। कुशीनगर जिले में इसका क्षेत्रफल अधिक है। सभी तरह की फसलें इस मिट्टी में उगाई जा सकती हैं। गन्ना, केला और दलहनी फसलों के लिए यह मिट्टी काफी लाभप्रद होती है।

इसके बारे में डॉ. त्रिलोकनाथ राय, मृदा वैज्ञानिक, बताते है कि भाठ मिट्टी में सभी पोषक तत्व मिलने की वजह से यह उत्पादकता के मामले में काफी धनी होती है। इसमें मिट्टी के तीनो भौतिक गुण पाए जाते हैं। अंगूर और सेव को छोड़कर हर तरह की फसलें, फल और सब्जियां उगाई जा सकती हैं। इसमें जलधारण की क्षमता अन्य मिट्टियों से अधिक होती है। कारण यह कि इसके एक से डेढ़ फीट नीचे की जमीन कंकरीली होती है, जो पानी को ऊपर तक ही रहने देती है। सबसे अधिक क्षेत्रफल में यह मिट्टी कुशीनगर जिले में ही पाई जाती है।

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