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मछली बीज उत्पादन का राजकीय फार्म का अस्तित्व खतरे में


कुशीनगर । उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में मछली बीज उत्पादन के लिए स्थापित राजकीय हेचरी फार्म के अस्तित्व पर खतरा मड़राने लगा है। जो कभी विहार के मुज्जफरपूर तक अपने बीजों के लिए प्रसिद्ध था।

ज्ञातव्य हो कि कुशीनगर के तमकुही विकासखंड के गगलवा में स्थित राजकीय हेचरी फार्म मछलियों को पकड़ने और फिर उन्हें बेचकर अपनी आजीविका चलाने वाले मछुआ समुदाय के उत्थान और मस्त्य उद्योग को बढ़ावा देने के लिए 50 साल पहले स्थापित किया गया था।

पांच हेक्टेयर क्षेत्रफल में स्थापित इस फार्म पर उस समय राजकीय मत्स्य अधिकारी, मछुआ, इंस्पेक्टर और सुपरवाइजर समेत नौ कर्मचारियों की नियुक्ति हुयी थी। पानी की उपलब्धता के लिए ट्यूबवेल और आधुनिक उपकरण लगाए गए थे।

यहां उत्पादित की जाने वाली रोहू, भाकुर, नैनी आदि प्रजातियों की मछलियों के बीजों की मांग क्षेत्र के अलावा बिहार के मुजफ्फरपुर तक थी। एक समय था जब इस केन्द्र पर मछलियों के नौ लाख बीजों का उत्पादन हुआ था लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण धीरे-धीरे यह फार्म बदहाल होता गया।

सेवानिवृत्त होने के कारण कर्मचारी घटते चले गए। इनकी जगह दूसरे कर्मचारियों की तैनाती न होने की वजह से यहां लगा ट्यूबवेल भी बंद पड़ा है । यहां एकमात्र कर्मचारी के रूप में बचे मछुआ सीताराम भी 30 सितंबर को सेवानिवृत्त हो गए। अब यहां बचे उपकरण को भी यहां से मंगाये जाने की तैयारी है।

इस संबंध में फार्म के इंचार्ज लाल बहादुर का कहना है कि यहां कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए डीएम और सीडीओ की ओर से पत्र शासन को लिखा जा चुका है।

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