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किसी सत्ता से भयग्रस्त नहीं हुए राजेन्द्र -जे.डब्लू.ओं.


टाइम्स ऑफ़ कुशीनगर ब्यूरो 

पडरौना,कुशीनगर ।  देश के जाने-माने साहित्यकार और मशहूर साहित्यिक पत्रिका हंस के संपादक राजेंद्र यादव की बीती रात हुए निधन पर जर्नलिस्ट्स वेलफेयर आर्गनाईजेशन ने गहरा दुख व्यक्त किया है। अपने लेखन से वंचित तबके और महिलाओं के अधिकारों की पैरवी करने के लिए जाने जाते रहे श्री यादव 84 वर्ष के थें।

जर्नलिस्ट्स वेलफेयर आर्गनाईजेशन ने अपने कैम्प कार्यालय पर श्री यादव के निधन पर  शोक सभा आयोजित की जिसमें पत्रकारो ने उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि रचनाकार के रूप में उन्होंने कई विधाओं में काम किया है। उपन्यासकार, कहानीकार, आलोचक और फिर एक समाजिक चिंतक के रूप में उन्हें जाना जाता रहा है। वह नई कहानी आंदोलन की ख्यात त्रयी (मोहन राकेश, राजेन्द्र यादव, कमलेश्वर) के सुमार में रहे। 

सारा आकाश, उखड़े हुए लोग, शह और मात जैसे उपन्यासों की रचना की और पिछले 25-26 वर्षों से हंस जैसी साहित्यिक पत्रिका को पाल-पोस रहे थे। इस बीच लगभग हर सामाजिक साहित्यिक विमर्श में उन्होंने रचनात्मक रूप से हिस्सा लिया। उन्होंने अपनी आलोचना, अपने संपर्कों और दूसरे खतरों की कभी परवाह नहीं की। 

उन्होने व्यक्तिगत शत्रुता का भाव कभी किसी के लिए नहीं पाला। उनका मन प्राचीन जमाने के भारतीय ऋषि-मुनियों की तरह ज्ञान-व्याकुल रहा है और व्यक्तित्व फ्रांसीसी विचारकों वाल्तेयर व रूसो की तरह विद्रोही। न तो किसी माक्र्सवादी पीठ की उन्होंने महंती ली और न ही प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से किसी सरकार या संस्था की सहायता प्राप्त की। आज तक साहित्य अकादमी या ज्ञानपीठ जैसी संस्थाओं ने उन्हें सम्मान के योग्य समझा तो इसका कारण उनकी बेलौस वैचारिक टिप्पणियाँ ही रही होंगी। लेकिन हर तरह की सत्ता ने उनकी उपेक्षा कर उन्हें जो एक अदीठा पुरस्कार दिया है, उसे बिरले ही आंक पाएँगे। राजेंद्र जी ने गोलियाँ तो नहीं, गालियाँ खूब खाई हैं। उन्होंने अलोकप्रियता का जोखिम उठाकर अपनी बातें कहीं। वह किसी सत्ता से भयग्रस्त नहीं हुए। 

इस बैठक में आर्गनाईजेशन के पदाधिकारियों में बी.पी. तिवारी, प्रेम शंकर सिंह सूर्यवंशी, ज्योतिभान मिश्र, ए. के. त्रिपाठी, खान तौसिफ, सूनील तिवारी, हरिगोविन्द चैबे, जीवन देव  वर्मा, मु. नईम, अनवर, आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। सभा के अन्त में पत्रकारो ने दो मिनट का मौन रख उनकी आत्मा की शान्ति के लिए प्रार्थना की।    

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