संत गुरु घासीदास की जन्म जयंती पर भव्य समारोह
संत गुरु घासीदास की जन्म जयंती पर भव्य समारोह
टाइम्स ऑफ़ कुशीनगर ब्यूरो
कुशीनगर। एजुकेशन वेलफेयर ट्रस्ट, बिशुनपुरा बुजुर्ग, नोनियापट्टी, पोस्ट किन्नरपट्टी, जनपद कुशीनगर द्वारा बाबू जगजीवन राम राष्ट्रीय प्रतिष्ठान, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली के सहयोग से दिनांक 18 दिसंबर 2025 (बृहस्पतिवार) को महान संत गुरु घासीदास की जन्म जयंती के अवसर पर एक भव्य समारोह का आयोजन किया जा रहा है। यह कार्यक्रम एम.एम. शिक्षा महाविद्यालय, किन्नरपट्टी, जनपद कुशीनगर में प्रातः 10 बजे से अपरान्ह 4 बजे तक आयोजित होगा।
इस अवसर पर जिलाधिकारी महेंद्र सिंह तंवर मुख्य अतिथि के रूप में प्रतिभाग करेंगे। वहीं मनीष जायसवाल, विधायक पडरौना, बिंदवासनी श्रीवास्तव, ब्लॉक प्रमुख बिशुनपुरा, शेषनाथ यादव, ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि नेबुआ नौरंगिया, एस. पी. पाण्डेय, सेवानिवृत्त जिला जज, बिहार सरकार, मो. अनीस, अध्यक्ष, भारतीय तकनीकी एवं शैक्षिक परिषद, लखनऊ, शफाअत हुसैन, निदेशक, वक्फ विकास निगम, उत्तर प्रदेश सरकार, लखनऊ तथा रमाशंकर यादव, जिला समाज कल्याण अधिकारी विशिष्ट अतिथि के रूप में समारोह की गरिमा बढ़ाएंगे। इसके अतिरिक्त अनेक गणमान्य व्यक्ति, समाजसेवी एवं बुद्धिजीवी भी समारोह में उपस्थित रहेंगे।
समारोह के दौरान डॉ. (प्रो.) प्रेमचंद सिंह, सेवानिवृत्त, पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष, उदित नारायण स्नातकोत्तर महाविद्यालय पडरौना, डॉ. राधेगोविंद शाही, प्रवक्ता, जनता इंटर कॉलेज, रामकोला तथा जनाब सगीर अहमद, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (सेवानिवृत्त), बिहार सरकार मुख्य वक्ता के रूप में महान संत गुरु घासीदास के जीवन, दर्शन एवं सामाजिक योगदान पर अपने विचार प्रस्तुत करेंगे।
एजुकेशनल वेलफेयर ट्रस्ट के उपाध्यक्ष डॉ. आलमीन अली ने जानकारी देते हुए बताया कि महान संत गुरु घासीदास का जन्म वर्ष 1756 में छत्तीसगढ़ के गिरौदपुरी (जनपद बलौदा बाजार–भाटापारा) में एक साधारण एवं वंचित वर्ग से संबंधित परिवार में हुआ था तथा उनका देहावसान वर्ष 1850 में हुआ। संत गुरु घासीदास का दर्शन सत्य, करुणा और समानता पर आधारित था। उन्होंने आडंबरपूर्ण पूजा-पद्धतियों, अंधविश्वास एवं सामाजिक कुरीतियों का विरोध करते हुए समाज को सत्य और मानवता के मार्ग पर चलने का संदेश दिया।
उन्होंने सतनामी समाज की स्थापना कर सत्य को जीवन का मूल आधार बनाया तथा सत्य और शांति के प्रतीक स्वरूप जैतखंभ की स्थापना की, जो आज भी उनके आदर्शों का सशक्त प्रतीक है। यह जयंती समारोह संत गुरु घासीदास के विचारों को जन-जन तक पहुँचाने, सामाजिक समरसता को सुदृढ़ करने तथा सत्य, न्याय और समानता के मूल्यों को आत्मसात करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास सिद्ध होगा।
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