प्रदोष काल में दीपावली का बढ़ जाता है महत्व - पंण्डित शिवजी त्रिपाठी
टाईम्स आफ कुशीनगर व्यूरो
कुशीनगर। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में
दीपावली का पर्व 19 अक्तूबर को बड़े
ही श्रद्धा भाव एवं हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। भगवान गणेश और मां लक्ष्मी एवं
महाकाली की पौराणिक अथवा तांत्रिक विधि से साधना-उपासना की जाएगी। इसके साथ ही
दीपावली पर उद्योग-धंधों के साथ-साथ नवीन कार्य करने एवं पुराने व्यापार में खाता
पूजन का भी विशेष विधान है।
संस्कृत के प्रकाण्ड विद्वान व श्री रविन्द्राश्रम
संस्कृत विद्यालय के प्रधानाचार्य शिवजी त्रिपाठी ने बताया कि दीपावली कार्तिक
कृष्ण पक्ष अमावश्या को मनायी जाती है। इस वर्ष श्री शुभ संवत् 2074 शाके 1939 कार्तिक कृष्ण
अमावश्या तिथि 19 अक्तूबर दिन
गुरुवार को बड़े धूमधाम एवं हर्षोल्लास के साथ मनायी जायेगी। अमावश्या तिथि 18 अक्तूबर दिन
बुधवार की रात 11ः33 बजे से हो जा
रही है जो 19 अक्तूबर की रात 11ः42 बजे तक रहेगी।
इस प्रकार से उदया तिथि में अमावश्या का मान सूर्योदय से ही मिल रहा है।
इसके अलावा इस दिन सूर्योदय से हस्त नक्षत्र और
सुबह 7ः47 बजे के बाद से
चित्रा नक्षत्र पूरा दिन व्याप्त रहेगा। सूर्योदय से शाम 5ः09 तक वैधृति योग
तत्पश्चात विष्कुम्भ योग व्याप्त रहेगा। अपने पूर्वाचंल दीपावली प्रदोष काल एवं
महानिशीथ काल व्यापिनी अमावश्या में विहित है। जिसमे प्रदोष काल का महत्त्व
गृहस्थो एवं व्यापारियो के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। महानिशीथ काल का समय
तात्रिकों के लिए उपयुक्त होता है। इस वर्ष अमावश्या व्यापिनी महानिशिथ काल का
आभाव नही है।
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