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प्राचार्य के विवाद में उलझा कुशीनगर का बुद्ध पीजी कालेज

टाईम्स आफ कुशीनगर व्यूरों
कुशीनगर । कुशीनगर के बुद्ध पीजी कालेज में कार्यवाहक प्राचार्य के मामले में हाईकोर्ट ने प्रबंधन के फैसले पर रोक लगी दी है। न्यायालय ने मामले से जुड़े सभी पक्षकारों को नोटिस भेजा है। कोर्ट ने यह निर्णय निवर्तमान प्राचार्य डॉ. केपी सिंह की याचिका पर सुनवाई के दौरान लिया है। प्रबंधन के निर्णय पर रोक से प्राचार्य पद पर कार्य करने को लेकर असमंजस की स्थिति आ गई है।ज्ञातव्य हो कि बुद्ध पीजी कॉलेज कुशीनगर के प्राचार्य रहे डॉ. एनपी राय का चयन निरस्त होने के बाद प्रबंध समिति ने अपने अधिकार का प्रयोग करते हुए जुलाई 2016 में वरिष्ठ शिक्षक आरपी यादव को कार्यवाहक प्राचार्य नियुक्त किया था। परंतु अर्हता पूरी नहीं किये जाने का आरोप लगाते हुए वरिष्ठता क्रम में दूसरे नम्बर के शिक्षक डॉ. केपी सिंह ने कुलपति के पास प्रतिवेदन दिया। तत्कालीन कुलपति प्रो. अशोक कुमार ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद आरपी यादव को ही कार्यवाहक प्राचार्य के लिये योग्य मानकर उनके पक्ष में निर्णय दिया। इधर कॉलेज में चल रही आतंरिक खींचतान की वजह से जुलाई 2017 में आरपी यादव ने कार्यवाहक प्राचार्य पद से इस्तीफा दे दिया। इस्तीफे के बाद प्रबंधन ने वरिष्ठता क्रम में दूसरे नम्बर के शिक्षक डॉ.केपी सिंह को कार्यवाहक प्राचार्य नियुक्त कर दिया। इस पर फिर आंतरिक खींचतान शुरू हो गई। प्रबंधन ने कार्यवाहक प्राचार्य को हटाने का मन बना लिया और नए चयन के लिए सूचना प्रकाशित कराई गई। सात अक्टूबर 2017 को मनोविज्ञान विषय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ.अमृतांशु शुक्ल को कार्यवाहक प्राचार्य नियुक्त कर दिया गया। प्रबंध समिति के इस निर्णय के खिलाफ निवर्तमान कार्यवाहक प्राचार्य डॉ. केपी सिंह ने इलाहाबाद हाइकोर्ट में रिट दाखिल किया। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने प्रबंध समिति के निर्णय पर रोक लगा दी और सभी पक्षकारों को नोटिस जारी कर दिया।
इस बावत प्रबंध समिति के सचिव डाक्टर दयाशंकर तिवारी का कहना है कि हाईकोर्ट के निर्णय की एक अप्रमाणित प्रति डॉक्टर केपी सिंह की तरफ से उपलब्ध कराई गई है। न्यायालय की तरफ से अधिकृत पत्र उपलब्ध होने पर विधिक सलाह लेकर कार्यवाई की जाएगी।



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