कुशीनगर मे कुपोषित बच्चो की संख्या पहुची एक लाख
टाइम्स ऑफ़ कुशीनगर ब्यूरो
कुशीनगर। गन्ना, गरीबी और गंडक का दंश झेल रहे कुशीनगर को कुपोषण ने भी नही बक्सा है। कुशीनगर में कुपोषित बच्चों की संख्या बढ़कर एक लाख हो गई है। ये बच्चे शून्य से पांच साल के बीच की उम्र के हैं।
इन एक लाख बच्चो में 25 हजार बच्चे तो अति कुपोषित की श्रेणी में आ गए हैं। जबकि इन कुपोषित बच्चों को स्वस्थ बनाने के काम मे आधा दर्जन विभाग लगे हुये हैं, लेकिन इसके बाद भी कुपोषित बच्चों की संख्या घटने की बजाय बढती ही जा रही है।
आश्चर्य की बात तो यह है कि जिन गावों को डीएम, सीडीओ सहित अन्य जिला स्तरीय अधिकारियों ने गोद लिया था, उन गांवों में भी कुपोषित बच्चे स्वस्थ नहीं हो पाए हैं।
ज्ञात हो कि कुपोषण मिटा कर बच्चों को स्वस्थ बनाने के लिये राज्य पोषण मिशन के तहत जिलाधिकारी , मुख्य विकास अधिकारी सहित 43 अधिकारियों ने 86 गांवों को गोद लिया है। इन गांवों में अधिकारियों को जाकर अपने सामने बच्चों का वजन कराना है। बच्चों की गंभीर स्थिति पर इनको अस्पताल पहुंचाना है। मगर जिम्मेदारों में से आधे से अधिक गोद लिए गांवों में झाकने तक नहीं जाते हैं।
ऐसी स्थिति में बच्चे के स्वस्थ रहने का पर तीन फरवरी को संबंधित अधिकारियों को गोद लिए गांवों में भ्रमण कर अपनी रिपोर्ट डीपीओ कार्यालय को उपलब्ध करानी थी। मगर इसमें आधे से कम ही अधिकारी अपने गोद लिए गांव पहुंचे। एक दर्जन अधिकारी की आईसीडीएस कार्यालय में अपनी रिपोर्ट दिए हैं। गोद लिए गांवों की स्थिति को देख अन्य गांवों का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।
By - जय कुमार त्रिपाठी
कुशीनगर। गन्ना, गरीबी और गंडक का दंश झेल रहे कुशीनगर को कुपोषण ने भी नही बक्सा है। कुशीनगर में कुपोषित बच्चों की संख्या बढ़कर एक लाख हो गई है। ये बच्चे शून्य से पांच साल के बीच की उम्र के हैं।
इन एक लाख बच्चो में 25 हजार बच्चे तो अति कुपोषित की श्रेणी में आ गए हैं। जबकि इन कुपोषित बच्चों को स्वस्थ बनाने के काम मे आधा दर्जन विभाग लगे हुये हैं, लेकिन इसके बाद भी कुपोषित बच्चों की संख्या घटने की बजाय बढती ही जा रही है।
आश्चर्य की बात तो यह है कि जिन गावों को डीएम, सीडीओ सहित अन्य जिला स्तरीय अधिकारियों ने गोद लिया था, उन गांवों में भी कुपोषित बच्चे स्वस्थ नहीं हो पाए हैं।
ज्ञात हो कि कुपोषण मिटा कर बच्चों को स्वस्थ बनाने के लिये राज्य पोषण मिशन के तहत जिलाधिकारी , मुख्य विकास अधिकारी सहित 43 अधिकारियों ने 86 गांवों को गोद लिया है। इन गांवों में अधिकारियों को जाकर अपने सामने बच्चों का वजन कराना है। बच्चों की गंभीर स्थिति पर इनको अस्पताल पहुंचाना है। मगर जिम्मेदारों में से आधे से अधिक गोद लिए गांवों में झाकने तक नहीं जाते हैं।
ऐसी स्थिति में बच्चे के स्वस्थ रहने का पर तीन फरवरी को संबंधित अधिकारियों को गोद लिए गांवों में भ्रमण कर अपनी रिपोर्ट डीपीओ कार्यालय को उपलब्ध करानी थी। मगर इसमें आधे से कम ही अधिकारी अपने गोद लिए गांव पहुंचे। एक दर्जन अधिकारी की आईसीडीएस कार्यालय में अपनी रिपोर्ट दिए हैं। गोद लिए गांवों की स्थिति को देख अन्य गांवों का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।
By - जय कुमार त्रिपाठी
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